‘नारियल के पेड़ों के मित्र’ पर आवासीय पाठ्यक्रम का समापन

‘नारियल के पेड़ों के मित्र’ पर आवासीय पाठ्यक्रम का समापन

6 - 11 जनवरी, 2025, सरगाची

भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, कोलकाता के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत धान्यगंगा कृषि विज्ञान केन्द्र (आरएमकेवीईआरआई), सरगाची, मुर्शिदाबाद में 'नारियल के पेड़ों के मित्र (एफओसीटी)' पर 6 दिवसीय आवासीय पाठ्यक्रम के समापन के साथ आज कृषि पद्धतियों को मजबूत करने में एक परिवर्तनकारी कदम पर प्रकाश डाला गया। भाकृअनुप-केवीके और नारियल विकास बोर्ड, राज्य केन्द्र, कोलकाता द्वारा इस सहयोगात्मक प्रयास का उद्देश्य नारियल की खेती में आवश्यक तकनीकी विशेषज्ञता के साथ किसानों को सशक्त बनाना है।

भाकृअनुप-अटारी, कोलकाता के निदेशक, डॉ. प्रदीप डे ने इस बात पर जोर दिया कि नारियल कृषि में चक्रीय अर्थव्यवस्था के सिद्धांतों को आगे बढ़ाने वाली एक सर्वोत्कृष्ट फसल है, क्योंकि इसकी बहुमुखी उपयोगिता न केवल फल बल्कि भूसी, खोल, पत्ते और यहां तक कि उप-उत्पाद भी प्रदान करती है- यह स्थिरता का उदाहरण है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि नारियल के पेड़ का हर हिस्सा उद्देश्य पाता है, शून्य-अपशिष्ट प्रथाओं को बढ़ावा देता है और आर्थिक, पर्यावरणीय और सामाजिक लचीलेपन में योगदान देता है। डॉ. डे ने कहा कि ऐसी बहुमुखी फसलों को खेती प्रणालियों में एकीकृत करके, हम कृषि के ऐसे मॉडल बना सकते हैं जो न केवल उत्पादक हों बल्कि पुनर्योजी भी हों साथ ही प्रकृति और अर्थव्यवस्था के बीच सामंजस्य सुनिश्चित करते हों।

नारियल विकास बोर्ड, राज्य केन्द्र, कोलकाता के उप-निदेशक (विकास), डॉ. अमिया देबनाथ ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत सरकार द्वारा स्थापित एक वैधानिक निकाय, नारियल विकास बोर्ड, नारियल की खेती के एकीकृत विकास के लिए आधारशिला के रूप में कार्य करता है और उत्पादकता बढ़ाने तथा उत्पाद विविधीकरण को बढ़ावा देने पर ध्यान केन्द्रित करता है। उन्होंने कहा कि बोर्ड इस बहुमुखी फसल की पूरी क्षमता को उजागर करने का प्रयास करता है, इसे टिकाऊ कृषि विकास के ताने-बाने में बुनता है।

कार्यक्रम के दौरान सभी प्रतिभागियों को नारियल चढ़ने वाली मशीनें वितरित की गईं।

एसएमएस बागवानी की डॉ. चंदा साहा पारिया ने कार्यक्रम का समन्वय किया।

कार्यक्रम में कुल 20 प्रतिभागियों ने भाग लिया।

(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, कोलकाता)

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