9 दिसंबर, 2025, कोलकाता
“नई चेतना – पहल बदलाव की” राष्ट्रीय अभियान के अंतर्गत एक जागरूकता एवं संवाद कार्यक्रम का सफल आयोजन कृषि विज्ञान केन्द्र, हावड़ा (बी.सी.के.वी.), भाकृअनुप-केन्द्रीय कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान (अटारी), कोलकाता के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत एवं जूट विकास निदेशालय द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य लैंगिक समानता को बढ़ावा देना, महिलाओं में नेतृत्व क्षमताओं का संवर्धन करना तथा ग्रामीण समुदायों को सशक्त बनाना था।

इस अवसर पर, डॉ. प्रदीप डे, निदेशक, भाकृअनुप-अटारी, कोलकाता, ने महिला किसानों के बीच कृषि उद्यमिता के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि कृषि आधारित उद्यमों में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी न केवल उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत करती है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका के नए अवसर भी सृजित करती है। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह अभियान ग्रामीण समुदायों के जीवन में एक बड़ा परिवर्तन लाएगा और हरित भविष्य के प्रति उनकी पूर्ण प्रतिबद्धता को दर्शाते हुए एक अधिक टिकाऊ दुनिया की ओर बढ़ने वाला महत्वपूर्ण कदम सिद्ध होगा।
श्री जिन्टू दास, निदेशक, जूट विकास निदेशालय, कोलकाता, ने भी अपने विचार व्यक्त किए तथा महिलाओं की सक्रिय भागीदारी को कृषि क्षेत्र की प्रगति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बताया।

कार्यक्रम में तारकनाथ एवं चापा, जगतबल्लभपुर स्वयं सहायता समूह, मां-लक्ष्मी फार्मर्स क्लब (गोलपोता), उलूबेरिया-I एवं II की देशेर माटी किसान उत्पादक कंपनी, श्यामपुर-I एवं II की श्यामपुर किसान उत्पादक कंपनी, तथा आमटा-I की सृजनी ग्रामोन्नयन किसान उत्पादक कंपनी की महिला बोर्ड सदस्यों और ड्रोन दीदी ने सक्रिय रूप से भाग लिया।
श्रीमती शिखा बेरा (जूट हस्तशिल्प), श्रीमती मौसमी घोष (ड्रोन दीदी), श्रीमती कविता हाजरा (वर्मी कम्पोस्टिंग), श्रीमती पद्मा सेनापति (मशरूम उत्पादन) तथा श्रीमती कृष्णा रॉय (सब्जी आधारित कृषि प्रणाली) — हावड़ा ज़िले के पाँच विभिन्न प्रखण्डों से ये पाँचों महिलाओं को अपने क्षेत्रों में उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए इस अवसर पर सम्मानित किया गया।
इस सहभागिता के माध्यम से कार्यक्रम ने 50 महिला किसानों में नई चेतना का संचार किया और उन्हें आत्मनिर्भरता एवं उद्यमिता की दिशा में प्रेरित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
कार्यक्रम का समन्वयन डॉ. कौशिक, जूट विकास निदेशालय तथा डॉ. किरणमय बारुई, प्रमुख, कृषि विज्ञान केन्द्र, हावड़ा द्वारा प्रभावी रूप से किया गया।
(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, कोलकाता)







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