8 जून, 2025, अल्मोड़ा
डॉ. लक्ष्मीकांत, निदेशक, भाकृअनुप–विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा के नेतृत्व में विकसित कृषि संकल्प अभियान के ग्यारहवें दिन, वैज्ञानिकों के एक दल ने विकासखंड ताड़ीखेत, ग्राम मटीला, सूरी, गडस्यारी, बरशीला एवं पड्रयुला के 76 कृषकों के साथ संवाद के साथ शुरू हुआ। ड़. कान्त एवं उनकी टीम ने किसानों की समस्याओं एवं कृषि विकास हेतु उनके विचारों से संबंधित जानकारी प्राप्त की।
निदेशक ने मटीला गांव की महिला कृषकों से पर्वतीय कृषि की चुनौतियों एवं संभावनाओं पर सीधा संवाद किया। संवाद के दौरान महिला कृषकों ने पर्वतीय क्षेत्रों में यंत्रीकरण की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने बताया कि पहाड़ों की भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप कृषि यंत्रों की भारी कमी है, जिससे खेती कार्य कठिन और श्रमसाध्य हो गया है। युवाओं के पलायन एवं पशुधन की घटती संख्या के कारण खेती के पारंपरिक साधन अब व्यावहारिक नहीं रह गए हैं।
एक महिला कृषक ने स्पष्ट रूप से कहा कि "हमें ऐसे यंत्रों की आवश्यकता है, जो छोटे परिवारों द्वारा भी सरलता से उपयोग किए जा सकें और जिनसे पर्वतीय खेतों की जुताई जैसे कार्य वह स्वयं कर सकें।" उन्होंने यह भी कहा कि जंगली जानवरों से फसल की सुरक्षा, वैज्ञानिक जानकारी का समय-समय पर प्रसार और क्षेत्र विशेष के अनुसार अनुकूल तकनीकों की उपलब्धता अत्यंत आवश्यक है।
डॉ. कांत ने कृषकों को आश्वस्त किया कि संस्थान द्वारा पर्वतीय कृषि की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए अनुकूल कृषि यंत्रों, तकनीकों का विकास तथा जानकारी के प्रभावी प्रसार पर विशेष कार्य किया जा रहा है। उन्होंने महिला कृषकों की सक्रिय भागीदारी की सराहना करते हुए यह भी कहा कि संस्थान पर्वतीय क्षेत्रों की कृषि को आत्मनिर्भर एवं टिकाऊ बनाने हेतु प्रतिबद्ध है।
इस कार्यक्रम के तहत, किसानों को प्रमुख खरीफ फसलों के बारे में उन्नत खेती के तकनीकी पहलुओं की जानकारी दी गई। इन फसलों की उन्नति के लिए आवश्यक वैज्ञानिक तकनीकों, बुवाई का समय, सिंचाई व्यवस्था, कीट प्रबंधन और रोगों से बचाव के उपायों के बारे में जानकारी देने के साथ ही संस्थान द्वारा विकसित गार्डन रेक भी वितरित किए गए।
वैज्ञानिकों के दूसरे दल द्वारा वैज्ञानिक कृषि पद्धतियों, सहवर्ती क्षेत्रों में संभावनाओं तथा कृषकों के लिए उपलब्ध विभिन्न सरकारी योजनाओं की जानकारी प्रदान करने हेतु ताड़ीखेत विकासखण्ड के 11 गांवों के 172 कृषकों द्वारा संवाद कर उन्हें खरीफ फसलों की फसल प्रजातियों, सस्य विधियों, रोग-कीट नियंत्रण विधियों, कृषि संबंधित अन्य तकनीक के साथ ही सरकारी योजनाओं की जानकारी दी गयी। विशेषज्ञों द्वारा कृषकों को कुरमुला प्रबंधन, कृषि यंत्रों, कदन्न उत्पादन, आदि के बारे में बताया गया।
नोडल अधिकारी, डॉ. कुशाग्रा जोशी ने कहा कि अभियान के दौरान कृषि में जेंडर को मुख्यधारा में लाने के लिए महत्वपूर्ण मुद्दे वैज्ञानिकों को प्राप्त हो रहे है जिनका पर्वतीय क्षेत्र के लिए पॉलिसी निर्माण हेतु विशेष महत्व है।
(स्रोतः भाकृअनुप–विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा)
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