30 नवंबर 2022, जोधपुर
भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान (अटारी), जोधपुर द्वारा आज राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली के 66 केवीके के प्रशिक्षुओं के लिए "केवीके के माध्यम से प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने" शीर्षक वाली प्राकृतिक खेती परियोजना पर आभासी संवेदीकरण - सह - समीक्षा बैठक आयोजित की गई।
डॉ. एस.के. सिंह, निदेशक, भाकृअनुप-अटारी, जोधपुर ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में टिकाऊ कृषि के लिए प्राकृतिक जैव विविधता और जलवायु अनुकूल प्रौद्योगिकियों के संरक्षण पर जोर दिया। उन्होंने जोर देकर कहा कि प्राकृतिक खेती सबसे महत्वपूर्ण तरीका है और कृषि पारिस्थितिक स्थिरता का विकल्प है तथा जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ रसायन मुक्त कृषि को संबोधित करने के लिए उपयुक्त है।
डॉ. सिंह ने आगे कृषक समुदाय द्वारा प्रौद्योगिकियों को अपनाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि कृषि में रसायनों को धीरे-धीरे खत्म करने की आवश्यकता है, इसके अलावा कम प्रौद्योगिकियों और फसलों की खेती की लागत को कम करने के साथ-साथ कृषक परिवारों को सशक्त बनाने के लिए पशुपालन को बढ़ावा देने की तत्काल आवश्यकता है।
डॉ. हरिओम, राज्य प्रशिक्षण आयोजक, प्राकृतिक खेती प्रशिक्षण केन्द्र, गुरुकुल, कुरुक्षेत्र (हरियाणा) ने प्राकृतिक खेती पर अतिथि व्याख्यान; प्रतिभागियों को अवधारणा, स्थिति और संभावनाओं, पर दिया। डॉ. हरिओम ने जीरो टिलेज और संरक्षण खेती पर जोर दिया। उन्होंने मिट्टी, पानी, पर्यावरण, पशु और मानव स्वास्थ्य और अंततः समग्र कृषि पारिस्थितिकी प्रणालियों को बचाने के लिए प्राकृतिक खेती का प्रचार करके प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और पहले से ही समाप्त हो चुके प्राकृतिक संसाधनों को पुनर्जीवित करने का आग्रह भी किया।
इसके अलावा राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली के "केवीके के माध्यम से प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने" पर परियोजना के कार्य और प्रगति को भी संशोधित किया गया है तथा प्राकृतिक खेती से सम्बंधित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई है।
(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, जोधपुर)
फेसबुक पर लाइक करें
यूट्यूब पर सदस्यता लें
X पर फॉलो करना X
इंस्टाग्राम पर लाइक करें