एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस (एएमआर) पर किसान-वैज्ञानिक बातचीत-सह-जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन

एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस (एएमआर) पर किसान-वैज्ञानिक बातचीत-सह-जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन

17–19 नवंबर, 2025, गोवा

हर साल 18–24 नवंबर तक मनाए जाने वाले विश्व एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (एएणआर) जागरूकता सप्ताह (डब्ल्यूएएडब्लय़ू) के वैश्विक आयोजन को मनाने के लिए, भाकृअनुप–केन्द्रीय तटीय कृषि अनुसंधान संस्थान, गोवा, ने 17 एवं 19 नवंबर, 2025 को एएमआर पर एक किसान-वैज्ञानिक बातचीत-सह-जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया। डब्ल्यूएएडब्लय़ू 2025 का विषय, “अभी कार्रवाई करें: हमारे वर्तमान की रक्षा करें, हमारे भविष्य को सुरक्षित करें” था।  

इस कार्यक्रम का उद्देश्य किसानों और हितधारकों के बीच एएमआर के बारे में जागरूकता तथा समझ बढ़ाना था, साथ ही एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस के उभरने एवं फैलने को कम करने के लिए जिम्मेदार प्रथाओं को बढ़ावा देना था।

Farmer–Scientist Interaction-cum-Awareness Programme on Antimicrobial Resistance (AMR) Organised

वरिष्ठ अधिकारियों ने “पशु और मानव स्वास्थ्य क्षेत्रों में एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस का उभरना: कारण और निवारक उपाय” पर एक अवलोकन और प्रस्तुतियाँ दीं, जिसमें रेजिस्टेंस के तंत्र, एएमआर फैलने के रास्ते, मानव एवं पशु स्वास्थ्य पर इसका प्रभाव, तथा वन हेल्थ दृष्टिकोण अपनाने के महत्व को शामिल किया गया।

किसानों ने वैज्ञानिकों के साथ सक्रिय रूप से बातचीत की, पशुधन और मुर्गी पालन से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की, और एएमआर जोखिमों के प्रबंधन पर मार्गदर्शन मांगा।

अपने समापन संबोधन में, डॉ. परवीन कुमार, निदेशक, भाकृअनुप–सीसीएआरआई, ने इस बात पर जोर दिया कि एएमआर सबसे गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक बना हुआ है, खासकर भारत जैसे विकासशील देशों में जहाँ एंटीबायोटिक्स आसानी से उपलब्ध हैं। उन्होंने किसानों से एंटीबायोटिक्स की कम खुराक और अत्यधिक उपयोग से बचने का आग्रह किया—जो एएमआर के मुख्य योगदानकर्ता हैं—और एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए व्यापक जन जागरूकता की आवश्यकता पर जोर दिया।

उत्तरी गोवा के इब्राहिमपुर और कुम्भरजुआ गाँवों के कुल 81 डेयरी और मुर्गी पालक किसानों (38 महिलाएं तथा 43 पुरुष) ने इस कार्यक्रम में भाग लिया, जिसे भाकृअनुप-वित्त पोषित अखिल भारतीय नेटवर्क परियोजना ऑन एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस (एआईएनपी–एएमआर) के तहत आयोजित किया गया था।

(स्रोत: भाकृअनुप–केन्द्रीय तटीय कृषि अनुसंधान संस्थान, गोवा, गोवा)

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