21-22 जुलाई, 2025, रायपुर
भाकृअनुप-राष्ट्रीय जैविक तनाव प्रबंधन संस्थान, रायपुर ने भाकृअनुप-राष्ट्रीय अजैविक तनाव प्रबंधन संस्थान, बारामती तथा भारतीय कृषि अर्थशास्त्र सोसायटी (आईएसएई), मुंबई के सहयोग से 21 से 22 जुलाई, 2025 तक भारतीय कृषि में जैविक एवं अजैविक तनाव प्रबंधन और नीतियों पर दो दिवसीय विचार-मंथन सत्र का आयोजन किया। इस कार्यक्रम को नाबार्ड, रायपुर द्वारा आंशिक रूप से सहयोग प्रदान किया गया।
इस सत्र में प्रमुख वैज्ञानिकों, अर्थशास्त्रियों और नीति निर्माताओं सहित लगभग 70 प्रतिनिधियों ने जैविक कारकों (कीट, रोग, आक्रामक प्रजातियाँ) तथा अजैविक कारकों (सूखा, लवणता, बाढ़ एवं गर्मी) के कारण होने वाले कृषि तनावों के प्रबंधन हेतु विज्ञान-आधारित रणनीतियों पर विचार-विमर्श किया। चर्चाओं का उद्देश्य भविष्य के हस्तक्षेपों का मार्गदर्शन करने तथा भारतीय कृषि में लचीलापन बढ़ाने के लिए एक व्यापक नीति पत्र तैयार करना था।

उद्घाटन सत्र में डॉ. एच.सी. शर्मा, पूर्व कुलपति, एचपीकेवी, पालमपुर, डॉ. पी.के. चक्रवर्ती, पूर्व सहायक महानिदेशक, (पीपी एंड बी), एएसआरबी सदस्य, डॉ. पी. के. राय, निदेशक, भाकृअनुप-एनआईबीएसएम, डॉ. के. सम्मी रेड्डी, निदेशक, भाकृअनुप-एनआईएएसएम, डॉ. डी.के. मारोठिया, अध्यक्ष, आईएसएई, श्री ज्ञानेन्द्र मणि, मुख्य महाप्रबंधक, नाबार्ड, डॉ. ए. अमरेन्द्र रेड्डी, संयुक्त निदेशक, एससीएचपीएसआर, भाकृअनुप-एनआईबीएसएम सहित कई विशिष्ट अतिथि शामिल हुए।
कार्यक्रम के दौरान, तनाव प्रबंधन से संबंधित दो प्रकाशनों का विमोचन किया गया, जिससे इस महत्वपूर्ण विषय पर वैज्ञानिक साहित्य में योगदान मिला। कार्यक्रम में चार तकनीकी सत्र भी आयोजित किए गए, जिनमें से प्रत्येक की अध्यक्षता क्षेत्र के विशेषज्ञों ने की, और ये सत्र जैविक एवं अजैविक तनाव न्यूनीकरण के विषयगत क्षेत्रों पर केन्द्रित थे।
सत्र का समापन भारत में जलवायु-अनुकूल तथा टिकाऊ कृषि पद्धतियों के समर्थन हेतु एकीकृत अनुसंधान-नीति ढाँचों और सुदृढ़ संस्थागत समन्वय की आवश्यकता पर आम सहमति के साथ हुआ।
(स्रोत: भाकृअनुप-राष्ट्रीय जैविक तनाव प्रबंधन संस्थान, रायपुर)
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