भाकृअनुप-सीसीआरआई तथा एचपीसीएल ने सिट्रस कीट प्रबंधन में बागवानी खनिज तेल पर अध्ययन के लिए समझौता ज्ञापन पर किए हस्ताक्षर

भाकृअनुप-सीसीआरआई तथा एचपीसीएल ने सिट्रस कीट प्रबंधन में बागवानी खनिज तेल पर अध्ययन के लिए समझौता ज्ञापन पर किए हस्ताक्षर

24 फरवरी, 2025, नागपुर

भाकृअनुप-केन्द्रीय सिट्रस अनुसंधान संस्थान, नागपुर और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल), मुंबई ने ‘भारत के चार कृषि-जलवायु क्षेत्रों में मैंडरिन और एसिड लाइम के कीटों के खिलाफ एचपी एचएमओ के अवशिष्ट विश्लेषण और जैव-प्रभावकारिता अध्ययन’ नामक एक परियोजना को संयुक्त रूप से संचालित करने के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया। भाकृअनुप-सीसीआरआई के निदेशक, डॉ दिलीप घोष और एचपीसीएल के कार्यकारी निदेशक, श्री चेरुकमल्ली श्रीनिवास तथा दोनों संगठनों के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में आज मुंबई में एचपीसीएल के मुख्यालय में समझौता ज्ञापन को औपचारिक रूप दिया गया।

डॉ. घोष ने इस सहयोग के महत्व पर बल देते हुए कहा कि यह परियोजना एचपी एचएमओ की प्रभावकारिता पर महत्वपूर्ण वैज्ञानिक डेटा उपलब्ध कराएगी, तथा कीट प्रबंधन के लिए एक पर्यावरण अनुकूल समाधान प्रस्तुत करेगी, साथ ही भारत में स्थायी नींबू वर्गीय खेती प्रथाओं का समर्थन भी करेगी।

सहयोगी शोध परियोजना का उद्देश्य जल-पायसनीय बागवानी खनिज तेल एचपी एचएमओ का मूल्यांकन करना है, जो सिट्रस कीटों के प्रबंधन में पारंपरिक कीटनाशकों के लिए एक टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल विकल्प है। अध्ययन चार कृषि-जलवायु क्षेत्रों: असम, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और तमिलनाडु/कर्नाटक में मंदारिन तथा एसिड लाइम बागों में इसकी जैव-प्रभावकारिता, अवशेष स्तर एवं फाइटोटॉक्सिसिटी का आकलन करेगा।

इस परियोजना के मुख्य अन्वेषक, भाकृअनुप-सीसीआरआई के वरिष्ठ वैज्ञानिक (कीट विज्ञान), डॉ. नरेश मेश्राम, परीक्षण और डेटा विश्लेषण का नेतृत्व करेंगे। इस परियोजना का उद्देश्य सिट्रस की खेती में कीटों द्वारा उत्पन्न चुनौतियों से निपटना है, जिसमें कीटनाशक प्रतिरोध, पर्यावरण प्रदूषण तथा लाभकारी जीवों को होने वाले नुकसान को कम करना शामिल है।

यह साझेदारी भारत के नींबू उद्योग में कीटनाशकों पर निर्भरता को कम करने तथा टिकाऊ कृषि पद्धतियों को आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय सिट्रस अनुसंधान संस्थान, नागपुर)

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