29 मई, 2025, लखनऊ
भाकृअनुप-राष्ट्रीय मत्स्य आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो, लखनऊ ने जैव प्रौद्योगिकी, जलीय पारिस्थितिकी तंत्र संरक्षण, आणविक आनुवंशिकी और मत्स्य संसाधन प्रबंधन के क्षेत्रों में अकादमिक तथा अनुसंधान सहयोग को मजबूत करने के लिए महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड विश्वविद्यालय (एमजेपीआरयू), बरेली के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया।
आज लखनऊ में औपचारिक रूप से हस्ताक्षरित तथा आदान-प्रदान किए गए समझौता ज्ञापन का उद्देश्य दोनों संस्थानों के बीच अंतःविषय अनुसंधान और अकादमिक जुड़ाव को बढ़ावा देना है। इस साझेदारी के तहत, भाकृअनुप-एनबीएफजीआर के वैज्ञानिक एमजेपीआरयू में नामांकित पीएचडी छात्रों के लिए मान्यता प्राप्त पर्यवेक्षक के रूप में काम करेंगे।

इसके अतिरिक्त, छात्रों को भाकृअनुप-एनबीएफजीआर में छह महीने का कोर्स वर्क करने का अवसर मिलेगा, जिससे उन्हें संस्थान के अत्याधुनिक अनुसंधान बुनियादी ढांचे तक पहुंच प्राप्त होगी।
इस सहयोग में संकाय आदान-प्रदान, संयुक्त अनुसंधान पहल, प्रशिक्षण कार्यक्रम और प्रयोगशाला सुविधाओं के साझा उपयोग की परिकल्पना भी की गई है, जिससे अकादमिक और वैज्ञानिक सहयोग का दायरा व्यापक होगा। इससे व्यावहारिक शिक्षण अनुभव में वृद्धि होने और मछली आनुवंशिक, वर्गीकरण तथा जैव सूचना विज्ञान में नवाचार को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
इस अवसर पर बोलते हुए, भाकृअनुप-एनबीएफजीआर की निदेशक, डॉ. काजल चक्रवर्ती ने लागू संरक्षण प्रयासों के साथ अकादमिक अनुसंधान को एकीकृत करने के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यह समझौता ज्ञापन टिकाऊ जलीय कृषि और जैव विविधता संरक्षण में राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के साथ संरेखित एक लचीला और गतिशील अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की दिशा में एक रणनीतिक कदम है।
यह साझेदारी संस्थागत नेटवर्क का विस्तार करने और जलीय आनुवंशिक संसाधनों के क्षेत्र में काम करने वाले छात्रों, शोधकर्ताओं और हितधारकों के लिए मूल्यवान अवसर पैदा करने में मील का पत्थर साबित होगा।
(स्रोत: भाकृअनुप-राष्ट्रीय मत्स्य आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो, लखनऊ)
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