17 दिसंबर, 2025, कोलकाता
स्वच्छता मिशन के तहत अपनी चल रही जन जागरूकता पहलों के हिस्से के रूप में, भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, कोलकाता ने आज स्वच्छता, पर्यावरणीय स्थिरता तथा सामाजिक जिम्मेदारी के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को मजबूत करते हुए एक स्वच्छता जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया।
प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए, के डॉ. प्रदीप डे, निदेशक, भाकृअनुप-अटारी, कोलकाता, ने इस बात पर जोर दिया कि स्वच्छता कोई एक बार की गतिविधि नहीं है, बल्कि जीवन जीने का एक स्थायी तरीका है, खासकर ग्रामीण और कृषि पारिस्थितिकी तंत्र में जहां स्वच्छता का मानव स्वास्थ्य, मिट्टी की गुणवत्ता और कृषि उत्पादकता पर सीधा असर पड़ता है। उन्होंने प्रतिभागियों को अपने-अपने जिलों में स्वच्छता के राजदूत के रूप में काम करने और जमीनी स्तर पर जागरूकता को लगातार कार्रवाई में बदलने के लिए प्रोत्साहित किया। संबोधन में भारत सरकार और भाकृअनुप के वन हेल्थ दृष्टिकोण पर भी जोर दिया गया, जिसमें स्वच्छता मानव, पशु एवं पर्यावरणीय स्वास्थ्य के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में काम करती है।

इस सत्र में प्रतिभागियों को समुदाय और कृषि संदर्भों में स्वच्छता, साफ-सफाई और स्थायी प्रथाओं के महत्व के बारे में जागरूक करने पर ध्यान केन्द्रित किया गया। इंटरैक्टिव चर्चाओं और व्यावहारिक प्रदर्शनों ने स्वच्छ तथा स्वस्थ वातावरण को बढ़ावा देने में हितधारकों की सामूहिक जिम्मेदारी पर प्रकाश डाला।
यह पहल भाकृअनुप-अटारी, कोलकाता, के वैज्ञानिक जागरूकता को सामाजिक जिम्मेदारी के साथ एकीकृत करने के सक्रिय प्रयासों को दर्शाती है, यह सुनिश्चित करते हुए कि जमीनी स्तर के हितधारक स्वच्छता मिशन के उद्देश्यों में योगदान करने के लिए प्रभावी ढंग से सुसज्जित हैं।
इस कार्यक्रम में इंटरनेशनल क्रॉप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर द सेमी-एरिड ट्रॉपिक्स (आईसीआरआईएसएटी) की एंड लाइन सर्वे टीमों के 24 सदस्यों ने भाग लिया, जो हुगली, पश्चिम मेदिनीपुर और मुर्शिदाबाद जिलों का प्रतिनिधित्व कर रहे थे, साथ ही आईसीआरआईएसएटी के एक फैकल्टी सदस्य भी शामिल थे।
(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, कोलकाता)







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