14-16 नवंबर, 2025, हैदराबाद
भाकृअनुप–राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान एवं प्रबंधन अकादमी, राजेन्द्रनगर, हैदराबाद ने 14 से 16 नवंबर, 2025 तक 115वें फाउंडेशन कोर्स फॉर एग्रीकल्चरल रिसर्च सर्विस (एफओसीएआरएस) के प्रोबेशनर्स के लिए एक बहुआयामी फील्ड, औद्योगिक एवं बाज़ार एक्सपोज़र दौरे का आयोजन किया। इस कार्यक्रम को प्रमुख कृषि क्षेत्रों में औद्योगिक संचालन, राशन बाजारों, मूल्य संवर्धन इकाइयों, पशुधन प्रणालियों और चल रहे अनुसंधान की व्यावहारिक समझ प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया था।

एक्सपोज़र की शुरुआत वेल्लमपल्ली में तंबाकू नीलामी प्लेटफॉर्म के दौरे से हुई, जहाँ प्रोबेशनर्स ने नीलामी तंत्र एवं बाज़ार संबंधों को देखा। इसके बाद वस्त्र निर्माण तथा फाइबर को सही तरीके से संभालने की जानकारी हेतु धनलक्ष्मी टेक्सटाइल इंडस्ट्री का औद्योगिक दौरा किया गया, और बाद में बड़े पैमाने पर वैल्यू-एडिशन प्रक्रियाओं का अवलोकन करने के लिए एक प्रमुख तंबाकू प्रोसेसिंग यूनिट का दौरा किया गया। चदलवाड़ा, ओंगोल में कैटल ब्रीडिंग स्टेशन में, प्रतिभागियों ने प्रजनन रणनीतियों, पशुधन प्रबंधन और विस्तार पहलों के बारे में सीखा।
दूसरे दिन, समूह ने समुद्री भोजन प्रसंस्करण और फ़ीड उत्पादन में लगी एक प्रमुख एक्वाकल्चर उद्यम का दौरा किया, जिसके बाद बीकेटी टोबैको थ्रेशिंग फैक्ट्री में औद्योगिक पैमाने पर तंबाकू थ्रेशिंग संचालन का अनुभव किया। भाकृअनुप–राष्ट्रीय व्यवसाय़िक कृषि अनुसंधान संस्थान (एनआईसीआरए), रीजनल स्टेशन कंदुकुर, तथा केवीके, कंदुकुर के दौरों ने चल रहे अनुसंधान, फसल सुधार कार्यक्रमों और प्रौद्योगिकी प्रसार में अंतर्दृष्टि प्रदान की। इस दिन मिर्च प्रसंस्करण इकाई का दौरा भी शामिल था ताकि सफाई, ग्रेडिंग और मसाला वैल्यू-एडिशन प्रौद्योगिकियों का अवलोकन किया जा सके।

कार्यक्रम का समापन भाकृअनुप-निक्रा, राजमुंदरी के दौरे के साथ हुआ, जहां प्रोबेशनर्स ने वाणिज्यिक फसलों में अनुसंधान प्रगति के बारे में सीखा, और प्रसिद्ध कडियाम नर्सरी का दौरा किया, जो बड़े पैमाने पर सजावटी और बागवानी उत्पादन के लिए जानी जाती है।
इस व्यापक एक्सपोज़र ने एआरएस प्रोबेशनर्स को कपड़ा, पशुधन, एक्वाकल्चर, बागवानी, मसाले एवं वाणिज्यिक फसलों सहित विभिन्न क्षेत्रों में बाजार की गतिशीलता, औद्योगिक प्रक्रियाओं, मूल्य श्रृंखलाओं, अनुसंधान-उद्योग संबंधों और उद्यम प्रबंधन की समग्र समझ हासिल करने में सक्षम बनाया।
(स्रोत: भाकृअनुप–राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान एवं प्रबंधन अकादमी, राजेन्द्रनगर, हैदराबाद)







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