28–31 अक्टूबर, 2025, सुंदरबन
सबको साथ लेकर चलने वाले, जलवायु के हिसाब से चलने वाले रोजगार में बदलाव की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए, भाकृअनुप-राष्ट्रीय मत्स्य आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो ने अपने मिशन नवशक्ति को, जो एफएओ से मान्यता प्राप्त जमीनी स्तर का इनोवेशन मॉडल है, सुंदरबन तक बढ़ाया है। सुंदरबन यूएनईएशसीओ की विश्व विरासत स्थल तथा वैश्विक जैव विविधता हॉटस्पॉट है। इस पहल का मकसद पश्चिम बंगाल के साउथ 24 परगना ज़िले के गोसाबा ब्लॉक में टाइगर विधवाओं और पिछड़े अनुसूचित जाति के समुदायों को कम्युनिटी के नेतृत्व वाली उद्यम तथा टिकाऊ रोजगार विविधीकरण के जरिए मज़बूत बनाना है।
उत्तर प्रदेश के मीठे पानी के सजावटी मछली पालन सेक्टर में अपनी स्थापित सफलता के आधार पर, मिशन नवशक्ति को अब सुंदरबन की मैंग्रोव-आधारित सामाजिक-आर्थिक पर्यावरणीय सच्चाइयों के हिसाब से बनाया जा रहा है। यह पहल शेड्यूल्ड कास्ट्स सब-प्लान (एससीएसपी) मैंडेट के तहत काम करती है, जिसमें प्रणाली आधारित सोच और केन्द्रीय धुरी और शाखा मॉडल को शामिल किया गया है ताकि नीचे से ऊपर तक इनोवेशन को बढ़ावा दिया जा सके और जाति समानता, जेंडर एम्पावरमेंट और इकोलॉजिकल तालमेल को बढ़ावा दिया जा सके।

चुनौती को समझना: खेतों से निकली विचार
28 और 31 अक्टूबर, 2025 के बीच बल्ली-1, बल्ली-2 तथा कुमिरमारी के बाहरी गांवों में किए गए एक अनुभूति सील प्रणाली मानचित्रण सर्वेक्षण से पता चला कि वहां बहुत ज़्यादा सामाजिक-आर्थिक और पारिस्थिकीय कमजोरियां हैं। बिना सोचे-समझे मछली पकड़ने तथा मैंग्रोव के खराब होने की वजह से मछुआरों को बाघों के रहने की जगहों में और अंदर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा है, जिससे इंसान-बाघ के बीच टकराव बढ़ रहा है और लोगों की जान जा रही है।
43 बाघ विधवाओं और प्रभावित परिवारों के इंटरव्यू से उन परिवारों के बुरे अनुभव सामने आए, जिनमें से ज्यादातर अनुसूचित जाती समुदायों से थे, जिन्होंने अपने अकेले कमाने वाले को खो दिया और अब वे हर महीने ₹1,000 की कम से कम पेंशन पर गुजारा कर रहे हैं, और उनके पास रोज़ी-रोटी के बहुत कम विकल्प या सामाजिक सहयोग हैं। नतीजों से एक प्रतिभागी रूपरेखा के ढ़ांचा के बारे में पता चला, जिसमें लोकल आवाज़ों और देसी समझ को ऊपर से नीचे तक फैलने वाले समाधानों से ज़्यादा प्राथमिकता दी गई।
जमीनी नवाचार: मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र हेतु एक केन्द्रीय धुरी और शाखा मॉडल
मिशन नवशक्ति की उत्तर प्रदेश में सफलता से प्रेरणा लेते हुए, जहाँ 425 से ज़्यादा अनुसूचित लेल्र के महिलाओं को सस्टेनेबल एक्वेरियम क्राफ्ट, मिनी-एक्वेरियम किट, एक्वेरियम मैनेजमेंट और हाथ से बने एग्री-प्रोडक्ट्स में माइक्रो-एंटरप्रेन्योर के तौर पर ट्रेनिंग दी गई और उन्हें मज़बूत बनाया गया—सुंदरबन एक्सटेंशन एक कॉन्टेक्स्ट-स्पेसिफिक को-डिज़ाइन अप्रोच अपनाता है।
उत्तर प्रदेश में, यह मॉडल एक केन्द्रीय धुरी और साखा नेटवर्क के ज़रिए काम करता है, जो नवशक्ति एक्वागिरी बिज़नेस इन्क्यूबेशन सेंटर में रखा गया है, जिसके स्पोक्स बाराबंकी, केवीके सीतापुर तथा उन्नाव में हैं। इस मॉडल को खासकर जलजीव पालन एवं समुदाय आधारित आविष्कार में अपने नेतृत्व हेतु यूएन एफएओ से पहचान मिली है।
इस संरचना को सुंदरबन में अपनाते हुए, महिला प्रतिभागियों ने इंटीग्रेटेड मछली पालन, बकरी तथा बत्तख पालन, केकड़ा पालन, सजावटी मछली पालन और क्षेत्रीय सांस्कृतिक विरासत से जुड़े पारंपरिक उत्पाद की वैल्यू एडिशन में दिलचस्पी दिखाई। तुरंत आजीविका के कामों में मदद के लिए रिचार्जेबल सोलर फ्लड लाइट्स समेत स्टार्टअप किट बांटा गया। नियमित समीक्षा तथा क्षमता निर्माण सेशन से बार-बार सीखने और टिकाऊपन मजबूत होगी।
कमजोरी से सुदृढ़ जिंदगी तक: एक कम्युनिटी की तरफ से बदलाव
यह नीचे से ऊपर की ओर का मूवमेंट, जो अपने अनुभवों पर आधारित है और महिलाओं की उम्मीदों से चलता है, कमज़ोरी से ज़िंदगी की ताकत की ओर एक बड़ा बदलाव लाता है। मिशन नवशक्ति का सिलसिलेवार तरीके से रचनात्मक सामुदायिक केन्द्र तथा लघु उद्यम सूक्ष्म उद्यम शाखाओं के अंदर नवाचार को शामिल करता है, जिससे सशक्तिकरण के आत्मनिर्भरता का वातावरण बनते हैं जो इंसानी जिंदगी और पारिस्थितिकीय संरक्षण के बीच एक संतुलन बनाता हैं।
इस प्रकार पीड़ितों को उद्यमी में बदलकर, यह पहल अत्यधिक संवेदनशील पारिस्थितिक क्षेत्र में सहभागी नवाचार का उदाहरण है, यह दिखाता है कि कैसे जमीनी स्तर की समझदारी पर्यावरण की चुनौतियों को बराबर खुशहाली के रास्ते में बदल सकती है।

मिलकर लागू करना और उसकी पहुंच
इस पहल को लोकल हिस्सेदार के साथ मिलकर लागू किया गया, जिसमें सुश्री प्रीतिलता घोषाल (पीपुल्स रिप्रेजेंटेटिव, मत्स्योदरानी संपदा कर्मयाधा, गोसाबा ब्लॉक), डॉ. सुब्रतो घोष, असिस्टेंट फिशरीज ऑफिसर, फिशरीज डिपार्टमेंट, पश्चिम बंगाल सरकार, और लोकल विभिन्न एनजीओ शामिल थे, और यह सब गोसाबा ब्लॉक के ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिसर के नेतृत्व में किया गया।
पीढ़ियों के बीच जुड़ाव को बढ़ावा देने के लिए, अनुसूचित जाति परिवारों के स्कूल जाने वाले बच्चों तक भी आउटरीच एक्टिविटीज़ बढ़ाई गईं। टीम के सदस्यों ने पानी के रास्तों पर चलते हुए स्टूडेंट्स से बातचीत की, और प्रॉब्लम-सॉल्विंग स्किल्स तथा मानसिक सुदृढता को बढ़ावा देने के लिए रूबिक्स क्यूब्स बांटे, जो बौद्धिक सशक्तिकरण और आजीविका सुदृढ़ता के समावेशन का प्रतीक है।
इस एक्सटेंशन के ज़रिए, भाकृअनुप-एनबीएफजीआर टिकाऊ, समावेशी तथा जलवायु-अनुकूल आजीविका को बढ़ावा देने के अपने मैंडेट को बनाए रखना जारी रखे हुए है, सुंदरबन को जाति-लिंग-पारिस्थितिकी तालमेल के फ्रंटियर और विश्व स्तर पर लागू किया जा सकने वाला मॉडल के रूप में स्थापित कर रहा है।
(स्रोत: भाकृअनुप-राष्ट्रीय मत्स्य आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो, लखनऊ)







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