28 जुलाई, 2025, हैदराबाद
ग्रामीण किसानों में स्वरोजगार को बढ़ावा देने और आय सृजन बढ़ाने के लिए, भाकृअनुप-राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबंधन अकादमी ने अनुसूचित जाति उपयोजना (एससीएसपी) के अंतर्गत 22 से 26 जुलाई, 2025 तक श्री वेंकटेश्वर पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय, प्रोड्डातुर, आंध्र प्रदेश के पशु चिकित्सा विज्ञान महाविद्यालय (सीवीएससी) में एसवीवीयू के सहयोग से 'सतत डेयरी उत्पादन के माध्यम से ग्रामीण आजीविका को सशक्त बनाने' पर पांच दिवसीय कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया।
कार्यक्रम का उद्घाटन, प्रो. (डॉ.) जे.वी. रमण, कुलपति, एसवीवीयू, तिरुपति ने किया, उन्होंने ग्रामीण आय तथा रोजगार के अवसरों को बढ़ाने में वैज्ञानिक डेयरी पद्धतियों की महत्वपूर्ण भूमिका पर बल दिया।

इस अवसर पर, डेयरी उत्पादन पर एक प्रशिक्षण पुस्तिका का भी विमोचन किया गया।
डॉ. बी. शोभामणि, निदेशक, एसवीवीयू विस्तार ने महत्वाकांक्षी ग्रामीण उद्यमियों के लिए पशुधन उत्पाद मूल्य संवर्धन के एक व्यवहार्य उद्यम के रूप में विस्तार पर प्रकाश डाला।
इस प्रशिक्षण का उद्देश्य अनुसूचित जाति (एससी) के किसानों में स्थायी डेयरी फार्मिंग में तकनीकी और व्यावहारिक क्षमता का निर्माण करना था। प्रतिभागियों को डेयरी प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं, जिनमें वैज्ञानिक आहार पद्धतियाँ, रोग नियंत्रण, टीकाकरण, कृमिनाशक प्रोटोकॉल, आहार निर्माण और दूध एवं डेयरी उत्पादों का मूल्य संवर्धन शामिल है, का सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया गया।
पाठ्यक्रम के एक भाग के रूप में, प्रतिभागियों ने विभिन्न उद्यमों और सुविधाओं का दौरा किया, जिसमें न्यूटेक बायोसाइंसेज प्राइवेट लिमिटेड में फीड मिक्सिंग प्लांट, मशीनीकृत दूध देने की प्रणाली तथा साइलेज बंकरों वाली जीवीसी डेयरी फार्म, आईजी जीएआरएल, पुलिवेंदुला में प्रकृति व्यावसाययम (प्राकृतिक खेती) पहल शामिल हैं।

इन दौरों ने सफल उद्यमियों के साथ बातचीत और व्यावहारिक प्रदर्शनों के माध्यम से सीखने में मदद की।
समापन सत्र के दौरान, सभी प्रतिभागियों को डेयरी फार्मिंग उद्यम शुरू करने में सहायता के लिए आवश्यक जानकारी प्रदान की गई, जिसमें कृमिनाशक दवा, कैल्शियम/यकृत टॉनिक, साल्ट लिक ब्लॉक, सांद्र/बछड़े का चारा, प्रशिक्षण किट और प्रमाण पत्र शामिल थे। इसके अतिरिक्त, गहन डेयरी उत्पादन के लाभदायक प्रबंधन पर एक पुस्तिका भी प्रदान की गई।
कई राज्यों के कुल 40 अनुसूचित जाति के किसानों ने प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लिया और स्थायी डेयरी फार्मिंग के माध्यम से उत्पादकता एवं आजीविका में सुधार हेतु ज्ञान और कौशल प्राप्त किया।
(स्रोत: भाकृअनुप-राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबंधन अकादमी, हैदराबाद)
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