फूलों की खेती में ब्लॉसम मिज के खतरे पर जागरूकता कार्यशाला का आयोजन

फूलों की खेती में ब्लॉसम मिज के खतरे पर जागरूकता कार्यशाला का आयोजन

24 अप्रैल, 2025, पुणे

भाकृअनुप-पुष्पकृषि अनुसंधान निदेशालय, पुणे ने आज पुष्पकृषि में ब्लॉसम मिज का खतरा: चुनौतियां और प्रबंधन पर एक जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया, जिसमें देश भर से किसानों, नर्सरी वालों, छात्रों, शोधकर्ताओं और विश्वविद्यालय के संकाय सहित 197 प्रतिभागियों ने भाग लिया।

मुख्य अतिथि, भाकृअनुप के पूर्व उप-महानिदेशक (बागवानी विज्ञान), डॉ. एन.के. कृष्णकुमार ने जैविक नियंत्रण, प्रतिरोधी किस्मों की पहचान, तथा मिज और पुष्प मेजबानों के बीच शारीरिक अंतःक्रियाओं की गहन समझ पर केन्द्रित अनुसंधान का आह्वान किया।

मुख्य अतिथि, डॉ. अब्राहम वर्गीस, पूर्व निदेशक, भाकृअनुप-एनबीएआईआर, बेंगलुरु ने रजनीगंधा और चमेली जैसी फसलों में ब्लॉसम मिज के प्रबंधन के लिए किसान-अनुकूल, व्यावहारिक उपायों को लोकप्रिय बनाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने फूल वाले पेड़ों में मिज की गतिविधि की निगरानी के महत्व पर भी जोर दिया, जो कीटों के निर्माण के लिए अनजाने प्रजनन आधार के रूप में काम कर सकते हैं।

भाकृअनुप-डीएफआर के निदेशक, डॉ. के.वी. प्रसाद ने पुष्पीय फसलों जैसे कि रजनीगंधा, चमेली तथा आर्किड में नए विनाशकारी कीट, ब्लॉसम मिज के निदान और प्रबंधन में निदेशालय के निरंतर प्रयासों पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस उभरते खतरे के अनुरूप एकीकृत कीट प्रबंधन रणनीतियों के महत्व पर जोर दिया।

कार्यशाला ने सार्थक संवाद और ज्ञान के आदान-प्रदान को सुगम बनाया, जिससे ब्लॉसम मिज संक्रमण से निपटने और भारत में टिकाऊ पुष्प-कृषि को बढ़ावा देने के लिए सहयोगात्मक प्रयासों का मार्ग प्रशस्त हुआ।

(स्रोत: भाकृअनुप-पुष्प-कृषि अनुसंधान निदेशालय, पुणे)

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