मसालों एवं सुगंधित फसलों पर राष्ट्रीय संगोष्ठी (एसएसवाई एमएसएसी- XI) स्मार्ट उत्पादन और विविधीकरण पर महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि के साथ संपन्न हुई

मसालों एवं सुगंधित फसलों पर राष्ट्रीय संगोष्ठी (एसएसवाई एमएसएसी- XI) स्मार्ट उत्पादन और विविधीकरण पर महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि के साथ संपन्न हुई

7- 9 जनवरी, 2025, कोझीकोड

मसालों एवं सुगंधित फसलों पर राष्ट्रीय संगोष्ठी (एसवाईएमएसएसी-XI) - स्मार्ट उत्पादन, उत्पाद विविधीकरण और उपयोग के लिए रणनीतियां 7 से 9 जनवरी, 2025 तक भाकृअनुप-भारतीय मसाला अनुसंधान संस्थान, कोझीकोड में आयोजित की गई। भारतीय मसाला सोसायटी (आईएसएस) द्वारा भाकृअनुप, भाकृअनुप-आईआईएसआर, मसाला बोर्ड, डीएएसडी और भाकृअनुप-एनआरसीएसएस के सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम में मसाला एवं सुगंधित फसल उत्पादन में नवीनतम रुझानों और प्रौद्योगिकियों पर चर्चा करने के लिए विशेषज्ञ एवं हितधारक एक साथ आए।

मुख्य अतिथि, डॉ. संजय कुमार सिंह, उप-महानिदेशक (बागवानी विज्ञान), भाकृअनुप ने मसाला खेती में आधुनिक तकनीकों को अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने भाकृअनुप द्वारा विकसित किस्मों और प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने का आग्रह किया ताकि किसानों द्वारा बड़े पैमाने पर अपनाया जा सके। साथ ही उन्होंने आय स्थिरता तथा कार्बन-पॉजिटिव प्रथाओं की ओर बढ़ने के महत्व पर भी प्रकाश डाला।

मुख्य अतिथि, डॉ. सुधाकर पांडे, सहायक महानिदेशक (फूल, सब्जियां, मसाले, औषधीय पौधे), भाकृअनुप  ने मसालों से रंग और पोषक तत्व वाली किस्में विकसित करने के लिए मानक स्थापित करने की आवश्यकता पर चर्चा की। उन्होंने मसाला अनुसंधान में तकनीकी प्रगति के लिए जीनोम एडिटिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे उन्नत उपकरणों के उपयोग के महत्व पर भी जोर दिया।

उद्घाटन के दौरान, ‘आईएसएस के तीन दशक’ सहित प्रमुख प्रकाशनों के साथ-साथ संगोष्ठी के स्मारिका और सार-संक्षेप का विमोचन किया गया।

इस कार्यक्रम में छह तकनीकी सत्र शामिल थे, जिसमें पश्चिमी घाट कोक्कम फाउंडेशन व्याख्यान पर एक विशेष सत्र भी शामिल था। इस कार्यक्रम में प्रसिद्ध वैज्ञानिकों की 14 प्रमुख वार्ताएँ, 31 चयनित मौखिक प्रस्तुतियाँ और 89 पोस्टर प्रदर्शित किए गए। सर्वश्रेष्ठ मौखिक और पोस्टर प्रस्तुतियों के साथ-साथ समग्र सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार के लिए पुरस्कार दिए गए।

‘किसान-वैज्ञानिक-उद्योग-एफपीओ’ पर एक महत्वपूर्ण सत्र आयोजित किया गया, जिसमें मसाला उद्योग के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिए विभिन्न हितधारकों के बीच सहयोग पर जोर दिया गया। संगोष्ठी में जीन एडिटिंग, जलवायु-स्मार्ट कृषि और सुरक्षित मसाला उत्पादन जैसी अत्याधुनिक तकनीकों पर भी चर्चा की गई। विभिन्न शोध संगठनों की नवीन तकनीकों को प्रदर्शित करने वाली एक प्रदर्शनी भी आयोजित की गई।

कार्यक्रम में न्यूट्रास्युटिकल और रंग-बिरंगे किस्मों के विकास के लिए मानक स्थापित करना, जीनोम एडिटिंग तथा एआई जैसी उन्नत तकनीकों का उपयोग करना एवं टिकाऊ, रसायन-मुक्त मसालों के उत्पादन पर ज़ोर देना शामिल था। अन्य चर्चाएँ मसालों की गुणवत्ता एवं उत्पादकता पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव, न्यूट्रास्युटिकल प्रजनन की क्षमता और व्यापक जीनोम-वाइड एसोसिएशन अध्ययन (जीडब्ल्यूएएस) कार्यक्रमों की आवश्यकता पर केन्द्रित रही।

इसके अतिरिक्त, संगोष्ठी में व्यावसायीकरण के लिए आशाजनक प्रौद्योगिकियों पर प्रकाश डाला गया, जिसमें पाइपर येलो मोटल वायरस का त्वरित पता लगाने की विधि, छोटी इलायची की वृद्धि के लिए सूक्ष्म पोषक तत्व आधारित पर्ण सूत्रीकरण, तथा इलायची और सौंफ में रोगों के प्रबंधन के लिए नवीन दृष्टिकोण शामिल है।

कुल मिलाकर, संगोष्ठी ने अत्याधुनिक अनुसंधान और प्रौद्योगिकियों को साझा करने के लिए एक मंच प्रदान किया जो मसाला उद्योग के भविष्य को आकार देगा और साथ ही टिकाऊ और जलवायु-स्मार्ट प्रथाओं के महत्व पर जोर देगा। संगोष्ठी में 150 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया। 

(स्रोत: भारतीय मसाला अनुसंधान संस्थान, कोझीकोड)

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