5 जून, 2025, नई दिल्ली
भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, कोलकाता के अंतर्गत भाकृअनुप-कृषि विज्ञान केन्द्र, खोरधा को आज राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी (एनएएएस), नई दिल्ली द्वारा प्रतिष्ठित सर्वश्रेष्ठ क्षेत्रीय केवीके पुरस्कार 2025 (जोन वी) से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार कृषि विस्तार और ग्रामीण परिवर्तन में केवीके की असाधारण उपलब्धियों के सम्मान में एनएएएस के स्थापना दिवस समारोह के दौरान प्रदान किया गया।
इस समारोह में प्रमुख कृषि वैज्ञानिकों और गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया, जिसमें एनएएएस के अध्यक्ष और आईसीआरआईएसएटी के महानिदेशक, डॉ. हिमांशु पाठक तथा एनटीईपी की प्रधान सलाहकार और डब्ल्यूएचओ की पूर्व मुख्य वैज्ञानिक, डॉ. सौम्या स्वामीनाथन शामिल थीं।
भाकृअनुप-अटारी, कोलकाता के निदेशक, डॉ. प्रदीप डे ने कहा कि एनएएएस क्षेत्रीय केवीके पुरस्कार देश भर के केवीके के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को प्रेरित करता है, नवाचार, उत्कृष्टता और प्रौद्योगिकी-संचालित कृषि को प्रोत्साहित करता है। उन्होंने कहा कि केवीके खोरधा की मान्यता इसके दूरदर्शी नेतृत्व और किसान-केन्द्रित विकास के प्रति अटूट प्रतिबद्धता का प्रतिबिंब है।

केवीके खोरधा ने कृषि उत्पादकता बढ़ाने, टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने और विशेष रूप से ओडिशा के आदिवासी और हाशिए के क्षेत्रों में समावेशी ग्रामीण विकास को आगे बढ़ाने के अपने अनुकरणीय प्रयासों के लिए यह राष्ट्रीय स्तर का सम्मान अर्जित किया।
केवीके की एक उल्लेखनीय उपलब्धि वैज्ञानिक जलीय कृषि में अग्रणी कार्य रही है, जिससे पद्मश्री पुरस्कार विजेता श्री बतकृष्ण साहू सहित किसानों को काफी लाभ हुआ है। केवीके उद्यमिता विकास, युवा कौशल प्रशिक्षण और संसाधन जुटाने में उत्कृष्टता के केन्द्र के रूप में भी उभरा है, जिसने अपने विस्तार के लिए परिक्रामी निधियों का प्रभावी उपयोग किया है।
केवीके खोरधा के एकीकृत दृष्टिकोण में किसान समूहों को बढ़ावा देना, समूह-आधारित ज्ञान प्रसार की सुविधा प्रदान करना तथा उच्च गुणवत्ता वाले विस्तार साहित्य का निर्माण करना शामिल है, जिससे कृषि प्रौद्योगिकियों की अंतिम-मील डिलीवरी को मजबूती मिलती है। सरकारी विभागों, गैर सरकारी संगठनों, एसएचजी तथा एफपीओ के साथ रणनीतिक सहयोग ने पूरे क्षेत्र में इसके प्रभाव को और बढ़ा दिया है।
यह पुरस्कार न केवल केवीके खोरधा के प्रभावशाली हस्तक्षेपों को मान्यता देता है, बल्कि इसे अनुकरण के लिए एक मॉडल के रूप में भी स्थापित करता है, जो पूर्वी भारत में कृषि नवाचार एवं ग्रामीण समृद्धि के प्रमुख चालक के रूप में इसकी भूमिका की पुष्टि करता है।
(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, कोलकाता)
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