“योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए अनुसंधान और नवाचार, कृषि क्षेत्र के प्रमुख आधार”– श्री शिवराज सिंह चौहान
“गेहूं और चावल के साथ दलहन, तिलहन, कपास व मोटे अनाज की उपज भी बढ़ाना लक्ष्य”- केन्द्रीय कृषि मंत्री
29 अप्रैल. 2025, नई दिल्ली
केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास मंत्री, श्री शिवराज सिंह चौहान ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (भाकृअनुप) के महानिदेशक एवं उप-महानिदेशकों के साथ मैराथन बैठक की शुरुआत आज एनएएससी कॉम्प्लेक्स, पूसा परिसर में की। बैठक में श्री चौहान ने भाकृअनुप के विभिन्न प्रभागों द्वारा किए जा रहे शोध प्रयोगों की जानकारी लेने के साथ ही भावी रणनीतियों के बारे में विस्तार से मार्गदर्शन दिया। इस अहम बैठक का उद्देश्य प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के मार्गदर्शन अनुसार देश के कृषि अनुसंधान क्षेत्र को और अधिक सशक्त बनाने तथा कृषि शोध में नवाचार लाने के साथ ही वर्तमान योजनाओं एवं कार्यक्रमों के प्रभावी कार्यान्वयन को आगे बढ़ाना था।
किसानों की खुशहाली को लक्षित करते हुए केन्द्रीय मंत्री ने बैठक की शुरुआत की और कहा कि जब अंतिम पंक्ति का किसान समृद्ध बनेगा, तभी सही मायनों में विकसित भारत का संकल्प पूरा होगा। श्री चौहान ने प्रमुख फसलों की उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने के लिए बेहतर बीज किस्में विकसित करने पर जोर दिया, साथ ही कृषि प्रगति में नवाचारों को बढ़ावा देने और आगामी वर्षों में आशाजनक परिणाम प्राप्त करने को केन्द्र में रखते हुए आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। श्री चौहान ने दलहन उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए साइंटिफिक अप्रोच पर काम करने की इच्छा जाहिर की। सोयाबीन की खेती को बढ़ावा देने पर विशेष रूप से जोर देते हुए कृषि मंत्री ने इस दिशा में विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों और कृषि मंत्रियों के साथ चर्चा की बात कही।
किसानों के खेतों में मृदा परीक्षण करने के प्रयास को लेकर श्री चौहान ने कहा कि गेहूं और चावल के साथ, दलहन, तिलहन व मोटे अनाजों की उपज पर भी जोर देने की आवश्यकता है। केंद्रीय मंत्री ने कीटनाशकों के सही उपयोग पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि कीटनाशकों के संबंध में और अधिक अनुसंधान और व्यवस्थित शोध की जरूरत है। खेत से बाजार तक की व्यवस्थित श्रृंखला पर बात करते हुए श्री चौहान ने ग्राम स्तर पर खेत से बाजार तक की श्रृंखला को व्यवस्थित करने की कोशिश पर भी बात की और कृषि समितियों की सक्रिय भूमिका को रेखांकित किया।
छोटे किसानों के लिए मॉडल फार्म विकसित करने हेतु फसल विज्ञान प्रभाग के बाद प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन और कृषि विस्तार प्रभाग की प्रस्तुति भी हुई, जिसमें विभिन्न विषयों पर विचार-विमर्श किया गया। इस दौरान, श्री चौहान ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए अनुकूल खेती, प्राकृतिक खेती के उत्पादों को राज्य सरकारों के साथ मिलकर प्रमाणित करने की व्यवस्था की बात की।
केवीके की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देते हुए श्री चौहान ने कहा कि किसानों को विज्ञान और प्रौद्योगिकी से जोड़ने के लिए कृषि विज्ञान केन्द्रों से ज्यादा महत्वपूर्ण भूमिका और किसी की नहीं हो सकती। जिन केवीके में कार्य प्रदर्शन में समस्याएं आ रही हैं, उसे जल्द से जल्द दूर करते हुए कार्य प्रदर्शन बेहतर करने का प्रयास करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि केवीके मांग आधारित सेवाएं कैसे दे सकता है, उसका भी एक मैकेनिज्म बनाया जाए। साथ ही, महिलाओं और युवाओं को कृषि प्रसार के लिए अधिक से अधिक जोड़े जाएं साथ ही केवीके के इम्पैक्ट असेसमेंट की भी व्यवस्था हो।
बैठक में भाकृअनुप के महानिदेशक डॉ. एम.एल जाट सहित सभी उप-महानिदेशक, सहायक महानिदेशक के साथ-साथ अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे।
(स्रोतः भाकृअनुप-कृषि ज्ञान प्रबंधन निदेशालय)
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