25 नवंबर, 2025, भुवनेश्वर
भाकृअनुप–केन्द्रीय मीठाजल जीव पालन संस्थान, भुवनेश्वर ने विश्व एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध (एएमआर) अवेयरनेस वीक 2025 मनाया। इस दौरान कई प्रोग्राम हुए, जिनका मकसद स्टेकहोल्डर्स को एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस के बढ़ते खतरे और वन हेल्थ पर इसके असर के बारे में जागरूक करना था। वर्ल्ड एएमआर अवेयरनेस वीक, जो हर साल 18 से 24 नवंबर तक मनाया जाता है, एएमआर के बारे में दुनिया भर में जागरूकता बढ़ाता है। भाकृअनुप ने इंडियन नेटवर्क फॉर फिशरी एंड एनिमल एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस (आईएफएएआर) बनाया है। इसमें पूरे भारत में 31 भाकृअनुप इंस्टीट्यूट के साथ-साथ वेटेरिनरी और फिशरीज कॉलेज शामिल हैं, जिन्हें फएओ से टेक्निकल सपोर्ट मिला है, जिसमें भाकृअनुप-सीफा एक केन्द्र के तौर पर काम करता है। 2025 की थीम ‘अभी काम करें: अपने आज को सुरक्षित करें, अपने भविष्य को सुरक्षित करें थी।’

डॉ. पी.के. साहू, निदेशक, भाकृअनुप-सीफा, ने एएमआर वीक के दौरान इंस्टीट्यूट की बड़ी कोशिशों की तारीफ़ की, जिसमें किसान जागरूकता प्रोग्राम, वर्कशॉप, इंटरैक्टिव सेशन और साइंटिफिक एक्टिविटी शामिल थीं। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि एएमआर न सिर्फ़ हेल्थकेयर के लिए बल्कि खाद्य सुरक्षा, पर्यावरण टिकाऊपन और आर्थिक सुदृढ़ता के लिए भी एक बड़ी उभरती चुनौती है।
पूरे हफ़्ते, भाकृअनुप-सीफा ने कई तरह की जागरूकता एक्टिविटी कीं। 18 नवंबर को, कॉलेज ऑफ़ वेटरनरी साइंस एंड एनिमल हसबेंडरी (ओयूएटी), भुवनेश्वर में “एंटीमाइक्रोबियल्स के इस्तेमाल और गलत इस्तेमाल” पर एक वैज्ञानिक-शिक्षक-छात्र वार्तालाप तथा जागरूकता वर्कशॉप का आयोजन किया गया।, जिसमें 100 वेटेरनरी स्टूडेंट्स ने हिस्सा लिया। इवेंट के दौरान डिबेट और आर्ट कॉम्पिटिशन भी हुआ।
21 नवंबर को, ओडिशा के पुरी के अस्टारंगा ब्लॉक के करंजपुर में “खेती और उससे जुड़े खेतों में एंटीमाइक्रोबियल्स का सही इस्तेमाल” पर वैज्ञानिक-एक्सपर्ट्स-किसानों के बीच बातचीत और जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया।
मत्स्य स्वास्थ्य प्रबंधन प्रभाग के हेड ने एंटीबायोटिक्स के सस्टेनेबल विकल्पों पर ज़ोर दिया, जिनमें प्रोबायोटिक्स, इम्यूनो स्टिमुलैंट्स, बेहतर खेती के तरीके और बेहतर जैव सुरक्षा शामिल हैं, जो एंटीबायोटिक पर निर्भरता कम करने के असरदार उपाय हैं।

डॉ. राजश्री पानीग्रही, प्रोफेसर तथा निदेशक, केन्द्रीय प्रयोगशाला, आईएमएस & एसयूएम हॉस्पिटल, भुवनेश्वर ने एक मुख्य संबोधन दिया, जिसमें उन्होंने एएमआर के बढ़ते खतरे पर ज़ोर दिया और एंटीबायोटिक के सही इस्तेमाल, बेहतर इन्फेक्शन कंट्रोल और लगातार निगरानी के ज़रिए रेजिस्टेंस को कम करने में स्वास्थ्य कार्यकर्ता, छात्र और कम्युनिटीज़ की अहम भूमिका पर ज़ोर दिया।
इस प्रोग्राम में लगभग 160 किसानों, किसान महिलाओं और आम लोगों ने हिस्सा लिया।
(स्रोत: भाकृअनुप–केन्द्रीय मीठाजल जीव पालन संस्थान, भुवनेश्वर)







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