भाकृअनुप–केन्द्रीय शीतोष्ण बागवानी संस्थान, श्रीनगर, ने औपचारिक एमओयू के जरिए लद्दाख के कारगिल के छह प्रगतिशील नर्सरी किसानों को चार बेहतरीन टेक्नोलॉजी का लाइसेंस दिया है। इन इनोवेशन में अखरोट में एडवांस ग्राफ्टिंग और बडिंग तकनीक, हाई थ्रूपुट सेब क्लोनल रूट स्टॉक मल्टीप्लिकेशन, फेदर्ड सेब नर्सरी प्लांट प्रोडक्शन, तथा खुबानी और आड़ू जैसे पत्थर वाले फलों के लिए बेहतर प्रोपेगेशन के तरीके शामिल है।

यह पहल लद्दाख में अच्छी क्वालिटी के प्लांटिंग मटेरियल की गंभीर कमी को दूर करती है, जहाँ सीमित नर्सरी और स्किल्स ने शीतोष्ण फलों की खेती के विस्तार को सीमित कर दिया है। लाइसेंस वाली टेक्नोलॉजी से:
•सेब, अखरोट, खुबानी और आड़ू में अच्छी क्वालिटी के प्लांटिंग मटेरियल का भरोसेमंद प्रोडक्शन सुनिश्चित होगा।
•रूटस्टॉक मल्टीप्लिकेशन और फेदर्ड प्लांट डेवलपमेंट के जरिए हाई डेंसिटी वाले सेब के बागों को बढ़ावा मिलेगा।
•अखरोट के प्रोपेगेशन में >80% सफलता मिलेगी, जिससे बेहतर किस्मों को अपनाने में बढ़ावा मिलेगा।
•पत्थर वाले फलों में जीवित रहने और प्रोपेगेशन की दर बढ़ेगी, जिससे खुबानी तथा आड़ू की खेती मजबूत होगी।

स्थानीय प्रोडक्शन को सक्षम करके, लद्दाख के किसानों को मौसमी सड़क बंद होने के बावजूद समय पर प्लांटिंग मटेरियल मिलेगा, साथ ही दूसरे क्षेत्रों में निर्यात के अवसर भी खुलेंगे। उम्मीद है कि इस कदम से किसानों की आय में काफी बढ़ोतरी होगी, लद्दाख की बागवानी अर्थव्यवस्था मजबूत होगी, और यह क्षेत्र प्रीमियम शीतोष्ण फल प्लांटिंग मटेरियल के हब के रूप में स्थापित होगा।
(स्रोत: भाकृअनुप–केन्द्रीय शीतोष्ण बागवानी संस्थान, श्रीनगर)







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