1 जुलाई, 2025, भरतपुर
तिलहन अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए, भाकृअनुप-भारतीय सरसों अनुसंधान संस्थान, भरतपुर में एक अत्याधुनिक स्पीड ब्रीडिंग सुविधा केन्द्र का उद्घाटन, डॉ. एम.एल. जाट, सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक, भाकृअनुप द्वारा किया गया। यह सुविधा भाकृअनुप द्वारा रेपसीड-सरसों सहित विभिन्न फसलों के लिए शुरू की गई जीनोम एडिटिंग पहल के तहत एक मील का पत्थर साबित हुआ है, जिसका उद्देश्य देश भर में फसल सुधार में तेजी लाना है।
संस्थान के वैज्ञानिकों और कर्मचारियों को संबोधित करते हुए डॉ. जाट ने प्रधानमंत्री के 2047 तक विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए भाकृअनुप की प्रतिबद्धता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि स्पीड ब्रीडिंग सेंटर प्रति वर्ष चार फसल पीढ़ियों के विकास को सक्षम करके सरसों अनुसंधान को बदल देगा, जिससे प्रजनन चक्रों में काफी कमी आएगी। 2030 तक 20 क्विंटल प्रति हैक्टर सरसों की औसत उत्पादकता प्राप्त करने के लक्ष्य पर प्रकाश डालते हुए डॉ. जाट ने सहयोगात्मक, समस्या-केन्द्रित तथा कुशल संसाधन उपयोग का आह्वान किया। उन्होंने वैज्ञानिकों से पूर्वोत्तर राज्यों में रेपसीड-सरसों की खेती का विस्तार करने के लिए एक कार्य योजना विकसित करने का आग्रह किया ताकि किसानों को व्यापक लाभ सुनिश्चित किया जा सके।
भाकृअनुप के उप-महानिदेशक (फसल विज्ञान), डॉ. डी.के. यादव ने संस्थान की उपलब्धियों की सराहना की तथा सरसों में ओरोबैंची और तना सड़न जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर केन्द्रित अनुसंधान का आग्रह किया।

भाकृअनुप के सहायक महानिदेशक (तिलहन एवं दलहन), डॉ. संजीव गुप्ता ने तेल की मात्रा बढ़ाने और शीघ्र पकने वाली किस्मों के विकास के महत्व पर बल दिया।
भाकृअनुप-आईआईएमआर के निदेशक, डॉ. विजय वीर सिंह ने संस्थान की प्रगति प्रस्तुत की और नई सुविधा के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि स्पीड ब्रीडिंग तकनीक तापमान, प्रकाश की तीव्रता और दिन की लंबाई जैसी पर्यावरणीय स्थितियों में बदलाव करके तेजी से फसल विकास की अनुमति देती है। यह प्रगति उच्च उपज, रोग प्रतिरोधी और गुणवत्ता वाली सरसों की किस्मों के विकास में तेजी लाएगी, जिससे किसानों को अत्याधुनिक तकनीकें अधिक तेज़ी से उपलब्ध होंगी। डॉ. सिंह ने इस बात पर प्रकाश डाला कि यह सुविधा भारत में सरसों अनुसंधान के लिए अपनी तरह की पहली सुविधा है और भाकृअनुप के तहत एक राष्ट्रीय मॉडल के रूप में काम करेगी।

इस परियोजना में ओरोबैंची जैसे परजीवी खरपतवारों के प्रति प्रतिरोध जैसे गुणों के लिए जीनोम संपादन को प्राथमिकता दी गई है, साथ ही उत्पादकता तथा गुणवत्ता में सुधार किया गया है, जिसका उद्देश्य भारत को तिलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना है।
इस कार्यक्रम में भाकृअनुप-एनआईबीएसएम, रायपुर के निदेशक, डॉ. पी.के. राय और कृषि विभाग, भरतपुर संभाग के अतिरिक्त निदेशक, श्री देशराज सिंह भी उपस्थित थे।
इस अवसर पर संस्थान के तेल उत्पादन के लिए एफएसएसएआई और ट्रेडमार्क प्रमाण पत्र जारी किए गए, साथ ही कई प्रकाशन भी जारी किए गए। गणमान्य व्यक्तियों द्वारा पौधारोपण अभियान भी चलाया गया।
(स्रोत: भाकृअनुप-भारतीय सरसों अनुसंधान संस्थान, भरतपुर)
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