4 दिसंबर, 2025, नई दिल्ली
इंडियन नेशनल साइंस एकेडमी (आईएनएसए) ने भाकृअनुप-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के सहयोग से आज भाकृअनुप-आईएआरआई, नई दिल्ली में 'STEM से STEAM तक' विषय पर भाकृअनुप-आईएआरआई नेशनल सेमिनार का आयोजन किया। दिल्ली 2025 में विज्ञान सप्ताह समारोह के हिस्से के रूप में आयोजित इस सेमिनार में STEAM फ्रेमवर्क के माध्यम से कृषि शिक्षा और अनुसंधान में रचनात्मकता, सामाजिक संदर्भ और नवाचार को एकीकृत करने पर ध्यान केन्द्रित किया गया। सेमिनार में कृषि, खाद्य सुरक्षा और सतत विकास में उभरती चुनौतियों का बेहतर ढंग से सामना करने के लिए पारंपरिक STEM दृष्टिकोण को व्यापक बनाने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया गया।
डॉ. अनुपमा सिंह, डीन और संयुक्त निदेशक (शिक्षा), भाकृअनुप-आईएआरआई ने STEM से STEAM में समग्र परिवर्तन के महत्व पर ज़ोर दिया।

डॉ. ब्रजेश पांडे, कार्यकारी निदेशक, आईएनएसए और सह-अध्यक्ष, ने संस्थानों में व्यापक वैज्ञानिक जुड़ाव के माध्यम से अपनी वार्षिक आम बैठक को विकेन्द्रीकृत करने की आईएनएसए की पहल के पीछे के तर्क को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि आईएआरआई में सेमिनार का आयोजन वैज्ञानिक पहुंच का विस्तार करने और राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के प्रति आईएनएसए की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
प्रो. स्नेह लता सिंगला-पारीक, ग्रुप लीडर, आईसीजीईबी और सह-अध्यक्ष, ने हरित क्रांति और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा में भाकृअनुप-आईएआरआई के ऐतिहासिक योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने आईएआरआई में सेमिनार आयोजित करने के महत्व को स्वीकार किया तथा नव-निर्वाचित आईएनएसए फेलो को बधाई दी।
सत्र की अध्यक्षता करते हुए, डॉ. चेरुकमल्ली श्रीनिवास राव, निदेशक, भाकृअनुप-आईएआरआई, ने भारत में विज्ञान को आगे बढ़ाने में आईएनएसए के नेतृत्व की सराहना की। STEM से STEAM में बदलाव को समयोचित और आवश्यक बताते हुए, उन्होंने राष्ट्र निर्माण और विकसित भारत के लिए कृषि की केन्द्रीयता पर ज़ोर दिया, यह याद दिलाते हुए कि 'सब कुछ इंतजार कर सकता है, लेकिन भोजन नहीं।' उन्होंने कहा कि कई सतत विकास लक्ष्य कृषि से निकटता से जुड़े हुए हैं और एकीकृत कृषि प्रणालियों, दालों, तिलहन, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन और संरक्षित खेती पर अनुसंधान की समीक्षा के लिए प्रधानमंत्री की भाकृअनुप-आईएआरआई की हाल की यात्राओं पर प्रकाश डाला।
डॉ. राव ने भोजन की बर्बादी, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, जलवायु परिवर्तन, छोटे भूमि जोत और किसानों के बीच कठिन परिश्रम सहित प्रमुख चुनौतियों पर भी बात की। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत के नेट-जीरो लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कृषि और भूमि-उपयोग प्रणालियाँ महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि मशीनीकरण, एकीकृत कृषि प्रणालियों, संसाधन-उपयोग दक्षता और बाजार स्थिरता में प्रगति आवश्यक है। कम संसाधनों, कम पानी और कम उत्सर्जन के साथ ज्यादा खाना पैदा करने के लिए। उन्होंने आगे कहा कि भारत सरकार के 25 से ज़्यादा कार्यक्रम सीधे तौर पर कृषि विकास को सपोर्ट करते हैं, जो गरीब तथा कमजोर समुदायों की आजीविका को बेहतर बनाने में इस सेक्टर की अहम भूमिका को दिखाता है।

देश के हर ज़िले में भाकृअनुप की मौजूदगी को मानते हुए, डॉ. राव ने भरोसा जताया कि INSA और पार्टनर संस्थानों के साथ मजबूत सहयोग से असरदार टेक्नोलॉजी, प्रोडक्ट और इनोवेशन के विकास में तेजी आएगी। उन्होंने IARI को सेमिनार के वेन्यू के तौर पर चुनने के लिए आईएनएसए को धन्यवाद दिया और भविष्य में बेहतर सहयोग की उम्मीद जताई।
यह सेमिनार मिरांडा हाउस, दिल्ली यूनिवर्सिटी; जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी; इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी दिल्ली; एमिटी यूनिवर्सिटी; एसआरएम यूनिवर्सिटी; और अशोका यूनिवर्सिटी के साथ एकेडमिक पार्टनरशिप में आयोजित किया गया था, जो STEM से STEAM बदलाव में कृषि को मुख्यधारा में लाते हुए इंटरडिसिप्लिनरी शिक्षा एवं रिसर्च को आगे बढ़ाने के सामूहिक प्रयासों को दिखाता है।
(स्रोत: भाकृअनुप-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली)







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