30 जून, 2025, नई दिल्ली
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली के कृषि भौतिकी विभाग ने अपने 63वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में 28-30 जून, 2025 तक "अगली पीढ़ी के कृषि भौतिकी: सतत विकास के लिए नवाचार" शीर्षक से एक राष्ट्रीय विचार-मंथन कार्यशाला का सफलतापूर्वक आयोजन किया।
कार्यशाला का उद्घाटन, डॉ. ए.के. नायक, उप-महानिदेशक (प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन), भाकृअनुप द्वारा "स्मार्ट कृषि: स्थिरता और लचीलापन सुनिश्चित करना - कृषि भौतिकी की भूमिका" विषय पर स्थापना दिवस व्याख्यान के साथ हुआ।

इस सत्र की अध्यक्षता, डॉ. ए.के. सिंह, पूर्व उप-महानिदेशक (एनआरएम) तथा राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति ने की। इस अवसर पर श्री सी. विश्वनाथ, आईएएस (सेवानिवृत्त), डॉ. आर.एन. पडारिया (संयुक्त निदेशक, विस्तार) और अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे।
डॉ. नायक ने स्मार्ट मृदा निगरानी, सटीक सिंचाई, उन्नत कृषि मशीनरी और वास्तविक समय क्षेत्र निगरानी की महत्वपूर्ण भूमिका पर ज़ोर दिया और किसानों की आय, उत्पादकता और पर्यावरणीय स्थिरता बढ़ाने के लिए चल रही सरकारी योजनाओं के साथ ऐसी तकनीकों को एकीकृत करने के महत्व को रेखांकित किया।
मृदा भौतिकी, कृषि-मौसम विज्ञान एवं सुदूर संवेदन में अगली पीढ़ी की तकनीकों पर केन्द्रित तीन विशेषज्ञ पैनल सत्र। मुख्य चर्चाएँ मृदा और फसल निगरानी के लिए AI/ML, IoT और सुदूर संवेदन के उपयोग; स्केलेबल, लागत-प्रभावी सेंसरों के विकास; स्थानीयकृत और स्वचालित कृषि-मौसम सलाहकार सेवाओं; और यूएवी और उपग्रहों के माध्यम से डेटा रिज़ॉल्यूशन को बढ़ाने पर केन्द्रित रहीं। सभी स्तरों पर क्षमता निर्माण के साथ-साथ सार्वजनिक-निजी भागीदारी और भारत-विशिष्ट अर्थ इंजन प्लेटफ़ॉर्म को बढ़ावा देने पर भी ज़ोर दिया गया।
कार्यशाला में छात्रों और पूर्व छात्रों द्वारा पोस्टर और मौखिक प्रस्तुतियाँ भी दीं गईं, इनमें अत्याधुनिक अनुसंधान और नवाचारों पर प्रकाश डाला गया।

कार्यक्रम का समापन डॉ. चौधरी के समापन संबोधन के साथ हुआ। श्रीनिवास राव, निदेशक एवं कुलपति, भाकृअनुप-आईएआरआई, ने सतत और जलवायु-अनुकूल कृषि को आगे बढ़ाने में प्रभाग के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने सूक्ष्म सिंचाई में तेजी लाने, मृदा-जल तालमेल को मजबूत करने, जलवायु अनुरूपता विकसित करने और फसल बीमा एवं परामर्श के लिए आंकड़ों का लाभ उठाने पर जोर दिया।
कार्यशाला में लगभग 110 प्रतिष्ठित पूर्व छात्रों और शोधकर्ताओं ने व्यक्तिगत और आभासी रूप से उत्साहपूर्वक भाग लिया।
(स्रोत: भाकृअनुप-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली)
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