जल राजस्थान के अर्ध शुष्क दक्षिणी भाग में एक महत्वपूर्ण और सीमित कारक है जहां बारानी कृषि की प्रमुखता है। इसके अतिरिक्त वर्षा में भी बहुत उतार-चढ़ाव है तथा फसल के मौसम में मध्य मौसमी सूखा पड़ने के कारण बारानी फसलों का निष्पादन या तो घटिया रहता है या खरीफ की फसलें भी असफल हो जाती हैं। श्रीमती केसर देवी, कोचारिया गांव, सुवाना तहसील, भीलवाड़ा जिला, राजस्थान ने सूखे के कारण फसलों के असफल होने के कारण बहुत आर्थिक नुकसान उठाया और इससे उनका परिवार बहुत प्रभावित हुआ।
एआईसीआरपीडीए केन्द्र, आर्जिया के हस्तक्षेप
शुष्क भूमि कृषि के लिए अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना (एआईसीआरपीडीए) केन्द्र ने 2011 में जलवायु के प्रति समुत्थानशील प्रौद्योगिकियों के प्रदर्शन के लिए कोचारिया गांव को अपनाया। बैंचमार्क सवेक्षण तथा पीआरए सर्वेक्षण और विषय केन्द्रित सामूहिक चर्चाओं द्वारा वर्षा जल के कारगर उपयोग के लिए फार्म तालाब में वर्षा जल के संग्रहण को एक उपयुक्त हस्तक्षेप के रूप में पहचाना गया। गांवों के किसानों की उत्पादकता, आमदनी तथा आजीविका को बढ़ाने के लिए जलवायु के प्रति समुत्थानशील प्रौद्योगिकी को भी प्राथमिकता दी गई।
श्रीमती केसर देवी ने फार्म तालाब प्रौद्योगिकी को अपनाने की स्वेच्छा से स्वीकृति प्रदान की। उन्होंने वर्षाजल के संग्रहण के लिए एक पक्का तालाब बनवाया जिसमें गांव से बहकर आने वाला वर्षा जल एकत्र किया गया और उसे मध्य मौसमी सूखे के दौरान कपास की फसल की पूरक सिंचाई के लिए इस्तेमाल किया गया। इसके अलावा वे इसी तकनीक को अपने क्षेत्र में अपनाने के लिए सामने आईं और उन्होंने अपने खेत में 1242 घन मी. (आकार 18x30 मी. ऊपरी, 12 x 24 मी. तली का, 3 मी. गहराई और 1:1 पार्श्व ढलान) की क्षमता से युक्त कच्चा तालाब बनवाया।
फार्म तालाब के से आमदनी में वृद्धि
तकनीक को अपनाने से पूर्व श्रीमती केसर देवी, खरीफ मौसम के दौरान केवल मक्का और उड़द की मिश्रित खेती करती थीं तथा रबी मौसम के दौरान खेतों को परती छोड़ देती थी। मक्का और उड़द की मिश्रित खेती में भी मध्य मौसमी सूखे से फसलों की उपज प्रभावित हो जाती थी। परिणामत: अक्सर कम उपज मिलती थी और कभी-कभी तो पूरी फसल चौपट हो जाती थी। फार्म तालाब में जल की उपलब्धता के कारण श्रीमती केसर देवी ने मक्का और उड़द की मिश्रित खेती के स्थान पर फसल पैटर्न पर विविधीकरण किया और खरीफ के दौरान मक्का तथा उड़द (2:2) व मूंगफली तथा तिल (6:2) की उन्नत अंतरफसलन प्रणालियां अपनाईं। उन्होंने रबी मौसम के दौरान सरसों व चने की फसलें भी उगाईं। सूखे की अवधि के दौरान खरीफ फसलों में फार्म तालाब के जल के कारगर उपयोग और सूक्ष्म सिंचाई की कारगर विधि (स्प्रिंकलर) से सरसों की फसल के लिए बुआई के पूर्व सिंचाई के कारण खेती उनके लिए एक लाभदायक उद्यम बन गई। इससे उनकी फसल गहनता 100 प्रतिशत से बढ़कर 212 प्रतिशत हो गई और शुद्ध लाभ 15,090/- रु./ हैक्टर से बढ़कर 35,090 रु./हैक्टर हो गया। अब श्रीमती केसर देवी एक सफल महिला किसान हो गई हैं जो फार्म तालाब प्रौद्योगिकी के माध्यम से मध्य मौसमी सूखे का प्रबंध करने के लिए अन्य किसानों का भी मार्ग प्रशस्त कर रही हैं।
राजस्थान सरकार द्वारा उनकी सफलता का सम्मान
Government of Rajasthan Recognized the Success
श्रीमती केसर देवी की कोचारिया गांव में सफलता को सम्मानित करते हुए राजस्थान सरकार ने 1.5 हैक्टर फील्ड में एक अन्य फार्म तालाब निर्माण के लिए गांव की किसान महिलाओं की सहायता की है। अब श्रीमती केसर देवी ने न केवल अपने गांव की अनेक महिलाओं को बल्कि आस-पास के गांवों के किसानों को भी एआईसीआरपीडीए केन्द्र, आर्जिया द्वारा उपलब्ध कराई गई जलवायु समुत्थानशील प्रौद्योगिकी के रूप में फार्म तालाब प्रौद्योगिकी को अपनाने के लिए प्रेरित किया है।
(स्रोत : शुष्क भूमि कृषि के लिए अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना केन्द्र,आर्जिया एमपीयूएटी भीलवाड़ा जिला राजस्थान और प्राकृतिक संसाधन प्रबंध प्रभाग भा.कृ.अनु.प.)
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