2 मई, 2025, कोलकाता
विश्व बौद्धिक संपदा (आईपी) दिवस, 2025 के उपलक्ष्य में, भाकृअनुप-राष्ट्रीय प्राकृतिक रेशा अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संस्थान, कोलकाता ने आज संस्थान प्रौद्योगिकी प्रबंधन इकाई (आईटीएमयू) के माध्यम से “विश्व बौद्धिक संपदा अधिकारों के प्रति संवेदनशीलता” शीर्षक से कार्यशाला आयोजित की। इस वर्ष का विषय “आईपी और संगीत: आईपी की धड़कन को महसूस करें” था।

मुख्य अतिथि, श्री अजीत कुमार, सहायक नियंत्रक, पेटेंट और डिजाइन, डीपीआईआईटी ने "आईपी अधिकारों के लिए अभिनव दिमाग: निर्माण और सुरक्षा" शीर्षक से एक व्यावहारिक मुख्य संबोधन दिया, जिसमें नवाचार और आर्थिक विकास को आगे बढ़ाने में बौद्धिक संपदा की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया गया। उन्होंने पेटेंट, ट्रेडमार्क, कॉपीराइट और औद्योगिक डिजाइनों के महत्व पर चर्चा की और शोधकर्ताओं के बीच प्रारंभिक आईपी जागरूकता की आवश्यकता पर जोर दिया। श्री कुमार ने विशेष रूप से सार्वजनिक संस्थानों के लिए आईपी फाइलिंग और व्यवसायीकरण के लिए सरकारी समर्थन पर भी प्रकाश डाला तथा वास्तविक जीवन के उदाहरण साझा किए जो दर्शाते हैं कि कैसे प्रभावी आईपी प्रबंधन प्रौद्योगिकी हस्तांतरण व सामाजिक प्रभाव को सुविधाजनक बनाता है।
डॉ. डी.बी. शाक्यवार, निदेशक, भाकृअनुप-एनआईएनएफईटी ने नवाचार और वैज्ञानिक उत्कृष्टता के प्रति संस्थान के समर्पण पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आज के गतिशील शोध परिदृश्य में, नवाचारों की सुरक्षा और उनके प्रभाव को बढ़ाने के लिए बौद्धिक संपदा अधिकार महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि आईपी-जागरूक संस्कृति को बढ़ावा देने से न केवल वैज्ञानिकों और संस्थानों को मदद मिलती है, बल्कि यह भी सुनिश्चित होता है कि शोध किसानों और समाज के लिए सामाजिक-आर्थिक लाभ में तब्दील हो।
कार्यशाला में वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और छात्रों सहित लगभग 60 प्रतिभागियों ने भाग लिया और शोध समुदाय के भीतर आईपी जागरूकता बढ़ाने पर समृद्ध चर्चा के साथ इसका समापन हुआ।
(स्रोत: भाकृअनुप-राष्ट्रीय प्राकृतिक फाइबर इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी संस्थान, कोलकाता)
फेसबुक पर लाइक करें
यूट्यूब पर सदस्यता लें
X पर फॉलो करना X
इंस्टाग्राम पर लाइक करें