18 जून, 2025, गोवा
महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले में सजावटी जलीय कृषि को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आज गोवा के भाकृअनुप-केन्द्रीय तटीय कृषि अनुसंधान संस्थान में हितधारकों की एक बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में प्रतिभा मत्स्य विकास सहकारी समिति के सदस्यों तथा भाकृअनुप-सीसीएआरआई के वैज्ञानिकों ने एक समर्पित जिला सजावटी मछली पालन नीति के निर्माण पर चर्चा की।
मुख्य चर्चाओं में इस क्षेत्र के लिए महाराष्ट्र सरकार की वित्तीय सहायता पर प्रकाश डाला गया, जिसमें जिला सहकारी बैंकों के माध्यम से वित्तपोषण प्रावधान शामिल हैं। सिंधुदुर्ग जिला बैंक ने सजावटी मछली पालन में उभरते उद्यमियों को समर्थन देने के लिए ब्याज अनुदान योजनाओं को लागू करने की तत्परता व्यक्त की।
हितधारकों ने इस क्षेत्र के सामने आने वाली व्यावहारिक चुनौतियों के बारे में बहुमूल्य जानकारी दी, जैसे कि सीमित प्रजनन क्षमता, निर्यात मूल्य निर्धारण के मुद्दे, जीवित मछलियों के परिवहन के लिए अपर्याप्त रसद और विनियामक बाधाएँ। सुझावों में मौजूदा सब्सिडी योजनाओं की समीक्षा, ऋण शर्तों को आसान बनाना और विपणन प्रणालियों में सुधार करना शामिल था।
प्रतिभागियों ने हैचरी, चारा संयंत्रों और लाइव फीड उत्पादन इकाइयों सहित आवश्यक बुनियादी ढांचे के विकास की जोरदार वकालत की। चर्चाओं में रणनीतिक हस्तक्षेपों के माध्यम से सिंधुदुर्ग को सजावटी जलीय कृषि के लिए एक मॉडल केंद्र के रूप में स्थापित करने पर भी जोर दिया गया:
•कौशल विकास और क्षमता निर्माण
•एक समर्पित अनुसंधान एवं विकास केन्द्र की स्थापना
•आउटरीच और व्यापार के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग
•मछली पार्कों तथा सामुदायिक एक्वेरियम के माध्यम से इको-पर्यटन को बढ़ावा देना
•क्लस्टर-आधारित उत्पादन क्षेत्रों का विकास
ब्रांडिंग, स्थिरता और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने पर ध्यान केन्द्रित करते हुए एक व्यापक निर्यात रणनीति की सिफारिश की गई। बैठक का समापन भाकृअनुप-सीसीएआरआई की उन्नत जलीय कृषि सुविधाओं के निर्देशित दौरे के साथ हुआ, जिसमें विज्ञान, नीति, बुनियादी ढांचे और बाजार विकास में एकीकृत प्रयासों के माध्यम से सजावटी जलीय कृषि में राष्ट्रीय नेता के रूप में उभरने की क्षेत्र की क्षमता को मजबूत किया गया।
(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय तटीय कृषि अनुसंधान संस्थान, गोवा)
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