5 मार्च, 2024, कूच बिहार
भाकृअनुप-कृषि विज्ञान केन्द्र, कूच बिहार ने भारत सरकार के प्रमुख कार्यक्रम के आलोक में एक इनपुट वितरण कार्यक्रम का आयोजन, तिलहन पर क्लस्टर फ्रंट लाइन प्रदर्शन भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, कोलकाता के अधिकार क्षेत्र के तहत आज किया।
उत्तर बंग कृषि विश्वविद्यालय, कूच बिहार के कुलपति, प्रो. डी. बसु ने तिलहन उत्पादन में देश की आत्मनिर्भरता की आवश्यकता पर जोर दिया।
भाकृअनुप-अटारी, कोलकाता के निदेशक, डॉ. प्रदीप डे ने अनुसंधान तथा अभ्यास के बीच अंतर को पाटने, नवाचार एवं प्रौद्योगिकी अपनाने और असे बढ़ावा देने तथा सतत कृषि विकास सुनिश्चित करते हुए किसानों की आजीविका में सुधार लाने में तिलहन हेतु सीएफएलडी के महत्व पर जोर दिया।
सूरजमुखी के बीज (सीवी. देब-5901) (30 हेक्टेयर) और तिल के बीज (सीवी. सीयूएमएस-17; सुप्रावा) (10 हेक्टेयर) क्रमशः चार गांवों और तीन गांवों में सीएफएलडी तिलहन कार्यक्रम के तहत लक्षित लाभार्थियों को वितरित किए गए।
डॉ. पी.पी. पाल, प्रधान वैज्ञानिक और नोडल अधिकारी, सीएफएलडी ऑयल सीड, डॉ. विकास रॉय, प्रमुख केवीके, कूच बिहार, और अन्य केवीके कर्मचारी और प्रगतिशील किसान कार्यक्रम में शामिल हुए।
(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, कोलकाता)
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