6 अक्टूबर, 2025, लुधियाना
भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, लुधियाना ने आज 'फसल अवशेष प्रबंधन' पर एक समीक्षा बैठक आयोजित की, जिसका उद्देश्य 2024-25 के दौरान फसल अवशेष प्रबंधन अभियान के अंतर्गत संचालित सूचना, शिक्षा एवं संचार गतिविधियों की प्रभावशीलता का मूल्यांकन करना था।

इससे पहले, डॉ. परविंदर श्योराण, निदेशक, भाकृअनुप-अटारी, लुधियाना, ने समीक्षा बैठक के उद्देश्यों की रूपरेखा प्रस्तुत की और सीआरएम परियोजना के अंतर्गत कृषि विज्ञान केन्द्रों द्वारा की गई प्रगति का अवलोकन प्रस्तुत किया। उन्होंने क्षेत्र में स्थायी कृषि पद्धतियों को सुदृढ़ करने के लिए एक व्यापक रणनीति और दूरदर्शी दृष्टिकोण के महत्व पर बल दिया और केन्द्रीय क्षेत्र योजना के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए बहु-हितधारक सहयोग के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने देश में कृषि नवाचार में अग्रणी रहने के लिए पंजाब के कृषि विज्ञान केन्द्रों के अनुकरणीय प्रयासों की सराहना की। प्रमुख उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए, उन्होंने फसल अवशेष जलाने की लगातार बढ़ती समस्या से निपटने की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया, विशेष रूप से पंजाब में बाढ़ प्रभावित धान के खेतों के संदर्भ में, जहां किसानों को अवशेषों के प्रभावी प्रबंधन में अतिरिक्त चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

बैठक में प्रतिभागियों के बीच कृषि विज्ञान केन्द्रों में फसल अवशेष प्रबंधन (सीआरएम) के कार्यान्वयन हेतु रणनीतिक योजनाओं को परिष्कृत करने हेतु गहन चर्चा की गई, जिसमें कृषि-स्तरीय प्रभाव को बढ़ाने पर ध्यान केन्द्रित किया गया। विचार-विमर्श ने भविष्य की दिशाएं निर्धारित करने में मदद की और प्रभावी फसल अवशेष प्रबंधन के लिए नवीन, स्थान-विशिष्ट समाधानों के विकास को प्रोत्साहित किया।
कार्यक्रम में 50 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें पंजाब कृषि विश्वविद्यालय और गुरुदेव वल्लभ विद्यापीठ विश्वविद्यालय, लुधियाना के डीईई, पंजाब भर के विभिन्न कृषि विज्ञान केन्द्रों से सीआरएम परियोजना के प्रमुख और नोडल अधिकारी शामिल थे।
(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, लुधियाना)
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