पराली से स्थायित्व तक: भाकृअनुप महानिदेशक ने अंतर-राज्यीय भ्रमण संगोष्ठी में किसानों को किया प्रेरित

पराली से स्थायित्व तक: भाकृअनुप महानिदेशक ने अंतर-राज्यीय भ्रमण संगोष्ठी में किसानों को किया प्रेरित

26 अक्टूबर, 2025, लुधियाना

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के नेतृत्व में फसल अवशेष प्रबंधन (सीआरएम) पर एक उच्च स्तरीय अंतर-राज्यीय भ्रमण संगोष्ठी, 24-26 अक्टूबर, 2025 तक पंजाब तथा हरियाणा के किसानों के साथ संवाद के बाद संपन्न हुई। इस कार्यक्रम में डॉ. एम.एल. जाट, सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप) शामिल हुए, जिन्होंने क्षेत्र-विशिष्ट रणनीतियों की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। एक प्रमुख नीतिगत सिफारिश "सीएचसी के लिए अनिवार्य मशीनों की क्षेत्र-विशिष्ट लचीली सूची" बनाने की थी, जिसमें तर्क दिया गया कि सब्सिडी की पात्रता एक समान राष्ट्रीय सूची के अनुसार तथा स्थानीय कृषि-पारिस्थितिकी और किसान की आर्थिक क्षमता के अनुरूप होनी चाहिए।

 

डॉ. राजबीर सिंह, उप-महानिदेशक (कृषि विस्तार), भाकृअनुप ने अपने संबोधन में स्पष्ट रूप से कहा, "फसल अवशेषों को जलाना कोई विकल्प नहीं है - यह टिकाऊ खेती के लिए एक आवश्यकता है।" उन्होंने दीर्घकालिक कृषि तथा पर्यावरणीय स्वास्थ्य के लिए इन-सीटू प्रबंधन को बड़े पैमाने पर अपनाने पर जोर दिया।

डॉ. परविंदर श्योराण, निदेशक, भाकृअनुप-अटारी, लुधियाना, ने परियोजना के तहत प्रदान की गई सीआरएम मशीनरी के कुशल उपयोग पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने सब्सिडी योजनाओं में शामिल करने से पहले नई मशीनों का स्थानीय परिस्थितियों में पायलट परीक्षण करने की वकालत की और किसानों के साथ खुली बातचीत को प्रोत्साहित किया।

 

किसानों ने सक्रिय रूप से भाग लिया और सब्सिडी वाली सीआरएम मशीनरी की बढ़ती लागत तथा गुणवत्ता आश्वासन, तथा नए मॉडलों की उपयुक्तता एवं परिचालन के समर्थन को लेकर असमंजस की स्थिति पर चिंता व्यक्त की। इन चुनौतियों के समाधान के लिए, महानिदेशक ने नवीन समाधानों पर चर्चा की, जिसमें सीआरएम के माध्यम से कार्बन संचय करने वाले किसानों के लिए कार्बन क्रेडिट को बढ़ावा देना तथा लगातार पराली जलाने से बचने वाले "पर्यावरण संरक्षक" गांवों के लिए सामाजिक मान्यता और योजनाओं तक तरजीही पहुंच प्रदान करना शामिल है। प्रवर्तन को बढ़ाने के लिए, संगोष्ठी में स्थानीय जवाबदेही के साथ रात्रिकालीन प्रवर्तन की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला गया।

   

पंजाब के लुधियाना, संगरूर तथा बरनाला के साथ-साथ हरियाणा के रोहतक और फतेहाबाद के विभिन्न गाँवों के किसानों के खेतों का प्रभावशाली दौरा इस यात्रा कार्यक्रम में शामिल था। संगोष्ठी में, लाइव मशीनरी प्रदर्शन और ग्रामीण संवाद तथा नीति निर्माताओं एवं किसानों के बीच की खाई को प्रभावी ढंग से पाटा गया साथ ही शून्य पराली दहन के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक सहयोगात्मक दृष्टिकोण को भी बढ़ावा दिया गया।

(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, लुधियाना)

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