भाकृअनुप-खरपतवार अनुसंधान निदेशालय जबलपुर द्वारा राजभाषा पर बौद्धिक परिचर्चा एवं प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित

भाकृअनुप-खरपतवार अनुसंधान निदेशालय जबलपुर द्वारा राजभाषा पर बौद्धिक परिचर्चा एवं प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित

भाकृअनुप-खरपतवार अनुसंधान निदेशालय जबलपुर द्वारा राजभाषा पर एक दिवसीय बौद्धिक परिचर्चा एवं प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन दिनांक 19 जनवरी, 2022 को जबलपुर में किया गया।

दो सत्रों में आयोजित प्रशिक्षण में, प्रथम सत्र के वक्ता- प्रो. अरुण कुमार, पूर्व प्राचार्य, गोविन्दराम सेकसरिया महाविद्यालय, जबलपुर ने “आज के परिदृष्य में राजभाषा” का महत्व विषय पर एवं द्वितीय सत्र के वक्ता- श्री घनश्याम नामदेव, सहायक निदेशकए हिन्दी शिक्षण योजना, जबलपुर ने “कम्प्यूटर में यूनिकोड का प्रयोग एवं अन्य तकनीकी जानकारी”  पर जोर देते हुए नगर के समस्त केन्द्रीय संस्थान के प्रतिनिधियों से संवाद एवं परिचर्चा किए।

19 जनवरी, 2022, जबलपुर  भाकृअनुप-खरपतवार अनुसंधान निदेशालय जबलपुर द्वारा राजभाषा पर एक दिवसीय बौद्धिक परिचर्चा एवं प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन दिनांक 19 जनवरी, 2022 को जबलपुर में किया गया।  दो सत्रों में आयोजित प्रशिक्षण में, प्रथम सत्र के वक्ता- प्रो. अरुण कुमार, पूर्व प्राचार्य, गोविन्दराम सेकसरिया महाविद्यालय, जबलपुर ने “आज के परिदृष्य में राजभाषा” का महत्व विषय पर एवं द्वितीय सत्र के वक्ता- श्री घनश्याम नामदेव, सहायक निदेशकए हिन्दी शिक्षण योजना, जबलपुर ने “कम्प्यूटर में यूनिकोड का प्रयोग एवं अन्य तकनीकी जानकारी”  पर जोर देते हुए नगर के समस्त केन्द्रीय संस्थान के प्रतिनिधियों से संवाद एवं परिचर्चा किए।  भाकृअनुप-खरपतवार अनुसंधान निदेशालय जबलपुर द्वारा राजभाषा पर बौद्धिक परिचर्चा एवं प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित  प्रशिक्षण कार्यशाला का उद्घाटन डॉ. जे. एस. मिश्र, निदेशक, खरपतवार अनुसंधान निदेशालय, जबलपुर एवं मुख्य अतिथि प्रो. अरुण कुमार, श्री राज रंजन श्रीवास्तव (सचिव नराकास), डॉ. पी. के. सिंह एवं श्री बसंत मिश्रा ने दीप प्रज्वलित कर मां सरस्वती के माल्यार्पण द्वारा किया। मुख्य अतिथि प्रो. अरुण कुमार ने कहा कि संग-साथ में बोली जाने वाली जनसामान्य की भाषा ही राजभाषा है। संसार का कोई भी देश अपनी भाषा की अवहेलना करके प्रगति नहीं कर सकता। भाषा में अद्भुत शक्ति होती है यह हमें एक दूसरे से जोड़ती है। प्रो. कुमार ने भाषा की स्थिति के संबंध में बताया कि देश में पाली, प्राकृत, हिंदी आदि लगभग 7000 भाषाएं हैं, इसमें विविधता की जगह एकरूपता लाने की जरूरत है। साथ ही भाषा बाहरी आवरण नहीं है, यह अंतर मन से चाही जाने वाली इच्छा है। भाषा कोई चिन्ह नहीं है भाषा प्रतीक है, जो यह बोध कराती है कि भाषा एक अहसास है।  डॉ. जे. एस. मिश्र ने नराकास के विभिन्न केंद्रीय कार्यालयों से पधारे सदस्य गण एवं मुख्य अतिथि तथा विशिष्ट अतिथियों का स्वागत किया एवं निदेशालय में राजभाषा के माध्यम से किए जा रहे अनुसंधानों के प्रचार, प्रसार एवं प्रशिक्षण सम्बंधी प्रयासो की जानकारी दीं। डॉ. मिश्र ने बताया कि कोई भी बोली अपने सुनिश्चित क्षेत्र को छोड़कर, किसी भी कारणवश, सभी जगह बोली जाने लगे तो वह सम्पर्क भाषा बन जाती है। अपनी भवानाओं और विचारो की अभिव्यक्ति के लिए भाषा का होना आवश्यक है, इसके लिए हिंदी हमेशा प्रथम पंक्ति में आती है। यदि भाषा की शक्ति का विस्ता

प्रशिक्षण कार्यशाला का उद्घाटन डॉ. जे. एस. मिश्र, निदेशक, खरपतवार अनुसंधान निदेशालय, जबलपुर एवं मुख्य अतिथि प्रो. अरुण कुमार, श्री राज रंजन श्रीवास्तव (सचिव नराकास), डॉ. पी. के. सिंह एवं श्री बसंत मिश्रा ने दीप प्रज्वलित कर मां सरस्वती के माल्यार्पण द्वारा किया। मुख्य अतिथि प्रो. अरुण कुमार ने कहा कि संग-साथ में बोली जाने वाली जनसामान्य की भाषा ही राजभाषा है। संसार का कोई भी देश अपनी भाषा की अवहेलना करके प्रगति नहीं कर सकता। भाषा में अद्भुत शक्ति होती है यह हमें एक दूसरे से जोड़ती है। प्रो. कुमार ने भाषा की स्थिति के संबंध में बताया कि देश में पाली, प्राकृत, हिंदी आदि लगभग 7000 भाषाएं हैं, इसमें विविधता की जगह एकरूपता लाने की जरूरत है। साथ ही भाषा बाहरी आवरण नहीं है, यह अंतर मन से चाही जाने वाली इच्छा है। भाषा कोई चिन्ह नहीं है भाषा प्रतीक है, जो यह बोध कराती है कि भाषा एक अहसास है।

डॉ. जे. एस. मिश्र ने नराकास के विभिन्न केंद्रीय कार्यालयों से पधारे सदस्य गण एवं मुख्य अतिथि तथा विशिष्ट अतिथियों का स्वागत किया एवं निदेशालय में राजभाषा के माध्यम से किए जा रहे अनुसंधानों के प्रचार, प्रसार एवं प्रशिक्षण सम्बंधी प्रयासो की जानकारी दीं। डॉ. मिश्र ने बताया कि कोई भी बोली अपने सुनिश्चित क्षेत्र को छोड़कर, किसी भी कारणवश, सभी जगह बोली जाने लगे तो वह सम्पर्क भाषा बन जाती है। अपनी भवानाओं और विचारो की अभिव्यक्ति के लिए भाषा का होना आवश्यक है, इसके लिए हिंदी हमेशा प्रथम पंक्ति में आती है। यदि भाषा की शक्ति का विस्तार करना है तो दूसरी भाषाओं को जानना और बहुभाषी होना भी जरुरी है। राजभाषा नीति के अनुसार हमें हिन्दी के प्रयोग को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ इसे बढ़ाना भी है।

श्री बसंत कुमार शर्मा, उप मुख्य सतर्कता अधिकारी, पश्चिम मध्य रेलवे, जबलपुर के मुख्य आतिथ्य में समापन समारोह आयोजित किया गया। श्री शर्मा ने कहा कि हिंदी साहित्य व राजभाषा अलग है इसे हमेशा सरल, सहज एवं सर्वग्राही होना चाहिए। भारत एक संघ राज्य है जहाँ भाषा एवं विभिन्न बोलियो को पहचाने, इसे एकत्रित करने की जरूरत है एवं इस बात का ध्यान रखना चाहिए की भाषा किसी पर बोझ ना बने।

कार्यशाला में लगभग 80 प्रतिभागियों ने भाग लिया जिसमें 30 से ज्यादा केन्द्रीय संस्थानों के प्रतिनिधियों के साथ ही निदेशालय के सभी अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे। कार्यक्रम के अन्त में डॉ. पी. के. सिंह, प्रधान वैज्ञानिक, द्वारा आभार व्यक्त किया गया।

(स्रोतभाकृअनुप-खरपतवार अनुसंधान निदेशालय जबलपुर)

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