17 जून, 2019, कश्मीर
शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कश्मीर के सहयोग से भाकृअनुप-केंद्रीय भेड़ और ऊन अनुसंधान संस्थान, अविकानगर, राजस्थान ने ‘कश्मीर क्षेत्र में केंद्रीय भेड़ और ऊन अनुसंधान संस्थान, गार्सा, कुल्लू, हिमाचल प्रदेश के भाकृअनुप-उत्तरी शीतोष्ण क्षेत्रीय स्टेशन के नए भेड़ की नस्लों की अपेक्षाओं और संभावनाओं’ पर एक बैठक-सह-कार्यशाला का आयोजन किया।
प्रो. नज़ीर अहमद, कुलपति, एसकेयूएएसटी, कश्मीर ने कश्मीर क्षेत्र की अपंजीकृत नस्लों के लक्षण-वर्णन, मूल्यांकन और पंजीकरण पर जोर दिया। उन्होंने यह भी आग्रह किया कि उत्पादन के अलावा उचित नस्लों और प्रबंधन प्रौद्योगिकियों के द्वारा मटन और ऊन की गुणवत्ता के लिए प्रति यूनिट/समय और उचित महत्त्व दिया जाना चाहिए। इससे जम्मू-कश्मीर की जरूरतों को पूरा करने के लिए पड़ोसी राज्यों - राजस्थान, पंजाब और दिल्ली से भेड़ और मटन के आयात पर खर्च होने वाली बड़ी रकम को कम करने में मदद मिलेगी।
भाकृअनुप-उत्तरी शीतोष्ण क्षेत्रीय स्टेशन और केंद्रीय भेड़ और ऊन अनुसंधान संस्थान, गार्सा, कुल्लू, हिमाचल प्रदेश के वैज्ञानिकों ने भाकृअनुप क्षेत्रीय समिति की बैठक संख्या-1 द्वारा अनुशंसित उनके उत्पादन और बाजार की क्षमता के लिए अपनी तीन नस्लों - सिंथेटिक भेड़, अविशान और डंबा - के बारे में भी बताया।
कार्यशाला के दौरान यह निष्कर्ष निकाला गया कि भाकृअनुप- उत्तरी शीतोष्ण क्षेत्रीय स्टेशन (केंद्रीय भेड़ और ऊन अनुसंधान संस्थान) की उपलब्ध नई भेड़ की नस्लों के परिचय का परीक्षण जम्मू एवं कश्मीर राज्य/कश्मीर क्षेत्र के लिए हमारी नई प्रजनन नीति, 2019 के दायरे में किया जाना चाहिए।
इस अवसर पर भेड़ की खेती की स्थिति एवं गुंजाइश, पंजीकृत एवं अपंजीकृत नस्ल और जम्मू-कश्मीर क्षेत्र के लिए जम्मू और कश्मीर की नई प्रजनन नीति पर भी चर्चा की गई।
कार्यक्रम में राज्य के पशुपालन और पशु चिकित्सा विज्ञान विभागों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
(स्रोत: भाकृअनुप-केंद्रीय भेड़ और ऊन अनुसंधान संस्थान, अविकानगर, राजस्थान)
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