आई आई वी आर, वाराणसी द्वारा आराजीलाईन ब्लॉक के लघु एवं सीमांत किसानों को पोषण एवं जीवकोपार्जन सुरक्षा के लिए दिया गया प्रशिक्षण

आई आई वी आर, वाराणसी द्वारा आराजीलाईन ब्लॉक के लघु एवं सीमांत किसानों को पोषण एवं जीवकोपार्जन सुरक्षा के लिए दिया गया प्रशिक्षण

14 जुलाई, 2018,वाराणसी

फार्मर्स फर्स्ट परियोजना के अंतर्गत भा.कृ.अनु.प.-भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, (आईआईवीआर) द्वारा पिछले 2 वर्षों से आराजीलाईन  ब्लॉक के सात गांवों-धानापुर, बाबुरामकापुरा, उपाध्यायपुर, पनियारा, लशकरिया, शक्तियारपुर एवं राजापुर के 1000 किसान परिवारों को चुनकर उन्हें उन्नत कृषि एवं सम्बंधित तकनीक अपनाने के लिए प्रशिक्षण और प्रदर्शन की मदद से जागरूक किया जा रहा है।

आई आई वी आर, वाराणसी द्वारा आराजीलाईन ब्लॉक के लघु एवं सीमांत किसानों को पोषण एवं जीवकोपार्जन सुरक्षा के लिए दिया गया प्रशिक्षण   आई आई वी आर, वाराणसी द्वारा आराजीलाईन ब्लॉक के लघु एवं सीमांत किसानों को पोषण एवं जीवकोपार्जन सुरक्षा के लिए दिया गया प्रशिक्षण

इस अवसर पर संस्थान के निदेशक डॉ बिजेन्द्र सिंह के निर्देशन में चुने हुए गांर्वो के सभी किसानों, विशेषकर लघु एवं सीमांत किसानों के पोषण एवं जीवकोपार्जन सुरक्षा के लिए पर्याप्त प्रशिक्षण देने के साथ साथ सब्जियों के व्यवसायिक खेती एवं गृहवाटिका के लिए भी प्रोत्साहित किया गया।   सब्जियों की उन्नत किस्मों जैसे-टमाटर में काशी अमन एवं काशी विशेष, बैंगन में काशी उत्तम एवं काशी तरू आदि  का प्रर्दशन लगभग 50 हेक्टेयर क्षेत्र में किया गया, परिणामस्वरूप इस क्षेत्र में औसतन सब्जियों के उत्पादन में 15-20 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी दर्ज की गयी।  

 सब्जियों के साथ धान की उन्नत सांभा प्रजाति का 50 हेक्टेयर में प्रर्दशन किया गया तथा किसानों को इस के बीज बनाने के लिए प्रशिक्षित किया गया। इसी के साथ संस्थान के निदेशक ने धानापुर एवं पनियारा गावों के 60 लघु एवं सीमांत किसानों को मुर्गीपालन के लिए प्रोत्साहित करते हुए प्रत्येक किसान को 50-50 चूजे, मुर्गीचारा, तथा आवश्यक दवाइंया वितरित की। इस अवसर पर किसानों ने बताया कि  नयी एवं उन्नत तकनीक अपनाने से उनकी कृषि आय में 20-25 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है, साथ ही बाजार में उनके उत्पादों की कीमत एवं  मांग भी बढ़ी है। किसानों की आय दोगुनी करने के माननीय प्रधानमंत्री के सपने को पूरा करने की दिशा में संस्थान का यह एक सफल प्रयास है।

(स्त्रोत:आईसीएआर- भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान,वाराणसी)

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