11-12 दिसम्बर, 2015, बेंगलुरू
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद एवं राष्ट्रीय प्रगत अध्ययन संस्थान (NIAS), बेंगलुरू द्वारा संयुक्त रूप से दिनांक 11 – 12 दिसम्बर, 2015 को भाकृअनुप – राष्ट्रीय कृषि कीट संसाधन ब्यूरो, बेंगलुरू में ‘कृषि – चरागाह संदर्भ में मानव – वन्यजीव संघर्ष’ पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया।
डॉ. एस. अय्यप्पन, सचिव, डेयर तथा महानिदेशक, भाकृअनुप ने मुख्य संबोधन में लगभग 1.25 बिलियन भारतीय जनसंख्या के लिए पर्याप्त खाद्य उत्पादन करने पर बल दिया और मानव – वन्यजीव सह-मौजूदगी की वकालत की। उन्होंने मानव – वन्यजीव संघर्ष के विभिन्न आयामों के बारे में विस्तार से बताया। डॉ. अय्यप्पन ने वन्य पशुओं के कारण होने वाले नुकसान में कमी लाने के लिए उपायों को खोजने का अनुरोध किया।
डॉ. बलदेव राज, निदेशक, राष्ट्रीय प्रगत अध्ययन संस्थान, बेंगलुरू ने वन्यजीव डाटा के लिए सेन्सरों के इस्तेमाल पर जोर दिया और मानव – वन्यजीव संघर्ष के साथ साथ जलवायु परिवर्तन पर अध्ययन करने का अनुरोध किया।
डॉ. के.एम.एल. पाठक, उपमहानिदेशक (पशु विज्ञान), भाकृअनुप; डॉ. अजय मेहता, एपीसीसीएफ, मैसूर; तथा डॉ. आर. सुकुमार, प्रोफेसर, आईआईएस, बेंगलुरू ने भी इस कार्यशाला में भागीदारी की।
कार्यशाला में जिन विषयों पर चर्चा की गई उनमें शामिल थे : वन्यजीव एवं फसल नुकसान, वन्यजीव के कारण किसानों पर पड़ने वाला प्रभाव, तथा वन्यजीव – कृषि नुकसान के लिए न्यूनीकरण रणनीतियां। चर्चा के उपरान्त नीतिगत मुद्दों पर भी बातचीत की गई।
वन्य पशुओं के कारण कृषि में होने वाले नुकसान में कमी लाने के लिए मुद्दों और रणनीतियों पर एक पैनल चर्चा की गई।
इस कार्यशाला में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, राष्ट्रीय प्रगत अध्ययन संस्थान, बेंगलुरू, आन्ध्र प्रदेश एवं कर्नाटक सरकार के वन विभाग के वैज्ञानिकों, गैर-सरकारी संगठनों और अनेक स्वतंत्र अनुसंधानकर्मियों ने भाग लिया।
डॉ. पी.के. अग्रवाल, सहायक महानिदेशक (राष्ट्रीय कृषि विज्ञान निधि), भाकृअनुप तथा कार्यशाला के सह आयोजक ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।
(स्रोत : राष्ट्रीय कृषि विज्ञान निधि, भाकृअनुप)
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