भाकृअनुप - भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान (आईआईडब्ल्यू), देहरादून द्वारा 'मृदा व जल संरक्षण एवं जलभरण प्रबंधन' विषय पर ओडिशा के आठ जिलों से आए 17 कृषि अधिकारियों के लिए 5 दिवसीय (अगस्त 2-6, 2016) प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया।
डॉ. पी.के. मिश्रा, निदेशक, आईसीएआर - आईआईडब्ल्यू ने अपने संबोधन में जलभरण प्रबंधन के महत्व के बारे में चर्चा की। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वैकल्पिक खेत प्रयोग पद्धति, जल संचयन, पुनर्चक्रण, वर्षा सिंचित एवं सूखे की स्थिति में उपयुक्त फसलों पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
उत्पादकता, लाभ एवं किसानों की पोषण सुरक्षा के लिए एकीकृत जलभरण प्रबंधन के माध्यम से प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण पर ध्यान दिया जाना चाहिए। इसके साथ ही सतत कृषि पद्धति को बढ़ावा देने, जल उपयोग की दक्षता बढ़ाने और मृदा अपरदन को कम करने के लिए बेहतरीन यांत्रिक, वानस्पतिक व कृषि उपायों के मिश्रित प्रयोग को अपनाने की बात कही गई। इसके साथ ही जीआईएस और रिमोट सेंसिंग के क्षेत्र में कौशल विकास पर भी विशेष ध्यान देने का आग्रह किया गया।
(स्रोतः भाकृअनुप - भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण, देहरादून)
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