भाकृअनुप – केन्द्रीय शुष्क भूमि कृषि अनुसंधान संस्थान (क्रीडा), हैदराबाद में जलवायु अनुकूल कृषि पर क्षमता विकास कार्यक्रम

भाकृअनुप – केन्द्रीय शुष्क भूमि कृषि अनुसंधान संस्थान (क्रीडा), हैदराबाद में जलवायु अनुकूल कृषि पर क्षमता विकास कार्यक्रम

19 – 31 जनवरी, 2015, हैदराबाद

भाकृअनुप – केन्द्रीय शुष्क भूमि कृषि अनुसंधान संस्‍थान (CRIDA), हैदराबाद द्वारा दिनांक 19 – 31 जनवरी, 2015 के दौरान चार समूहों में कृषि विज्ञान केन्‍द्र के स्टॉफ के लिए आठ दिवसीय क्षमता विकास कार्यक्रम आयोजित किया गया । इस कार्यक्रम में कुल 205 प्रतिभागियों ने भाग लिया जिनमें जलवायु अनुकूल कृषि के लिए राष्‍ट्रीय पहल (NICRA) परियोजना के तहत प्रौद्योगिकी प्रदर्शन संघटक (TDC) को लागू करने वाले आठ जोनल परियोजना निदेशालयों (ZPDs) में 100 निक्रा कृषि विज्ञान केन्‍द्रों से कार्यक्रम समन्‍वयकों, विषय विशेषज्ञों तथा अनुसंधान फेलो शामिल थे।  

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कृषि में आपसी विचार-विमर्श और एक-दूसरे से सीखने की सुविधा हेतु विभिन्‍न क्षेत्रों से जुड़े 100 निक्रा कृषि विज्ञान केन्‍द्रों के बहुविषयी स्टॉफ को चार बैचों में एक साथ लाया गया। क्षमता विकास कार्यक्रम को क्षेत्रीय निगरानी समितियों की सिफारिश पर चलाया गया। विभिन्‍न पहलुओं पर जानकारी को अद्यतन किया गया जिनमें शामिल थे : मूल्‍यवर्धित कृषि मौसम परामर्श सेवाएं; प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, फसल उत्‍पादन, पशुधन उत्‍पादन प्रणालियों में जलवायु अनुकूल क्रियाओं और प्रौद्योगिकियों के सिद्धान्‍त, डाटा प्रारूप और प्रभावों का परिमाणन तथा साथ ही बीज बैंक और फार्म मशीनरी की कस्‍टम हायरिंग के लिए ग्राम स्‍तरीय संस्‍थाओं का सुदृढ़ीकरण।

प्रत्‍येक जोन में सर्वश्रेष्‍ठ प्रदर्शन करने वाले जलवायु अनुकूल कृषि के लिए राष्‍ट्रीय पहल – कृषि विज्ञान केन्‍द्रों  और ग्राम स्‍तरीय जलवायु जोखिम प्रबंधन समितियों वाले कृषि विज्ञान केन्‍द्रों द्वारा अपने अनुभव बांटे गए और अंगीकृत जलवायु अनुकूल कृषि के लिए राष्‍ट्रीय पहल (NICRA) गांवों में  सर्वश्रेष्‍ठ कृषि क्रियाओं, उनके प्रभाव तथा किसानों की प्रतिक्रिया का प्रस्‍तुतिकरण  किया। सभी  कृषि विज्ञान केन्‍द्रों ने अंगीकृत गांवों में सफल हस्‍तक्षेपों के साथ-साथ वहां महसूस की गई जलवायु संवेदनशीलता पर पोस्‍टर सत्र में भाग लिया। प्रतिभागियों ने जलवायु अनुकूल कृषि के लिए राष्‍ट्रीय पहल के तहत फिनोमिक्‍स, ओटीसी, जीएचजी उपायों और पशुधन हस्‍तक्षेपों पर उत्‍कृष्‍ट जलवायु परिवर्तन अनुसंधान सुविधाओं को भी देखा।

(स्रोत : एनआरएम प्रभाग, भाकृअनुप)

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