अरुणाचल प्रदेश में मिथुन मेला 2025 आयोजन किया गया

अरुणाचल प्रदेश में मिथुन मेला 2025 आयोजन किया गया

26 जुलाई, 2025, अरुणाचल प्रदेश

भाकृअनुप-राष्ट्रीय मिथुन अनुसंधान केन्द्र, मेडजीफेमा, नागालैंड ने पशुपालन और पशु चिकित्सा विभाग, सियांग जिला और जोमलो मोंकु मिथुन किसान महासंघ के सहयोग से अरुणाचल प्रदेश के सियांग जिले के मोरी गांव में मिथुन मेला 2025 का आयोजन किया।

श्री पी.एन. थुंगन, उपायुक्त, सियांग जिला द्वारा उद्घाटन किए गए इस मेले ने किसानों, वैज्ञानिकों और अधिकारियों को वैज्ञानिक हस्तक्षेपों के माध्यम से स्थायी मिथुन पालन पर चर्चा करने के लिए एक मंच प्रदान किया। उन्होंने आदिवासी समुदायों के बीच मिथुन के सामाजिक-सांस्कृतिक और आर्थिक महत्व पर ज़ोर दिया और प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित करते हुए उन्नत पशुपालन पद्धतियों को अपनाने का आग्रह किया।

डॉ. गिरीश पाटिल एस., निदेशक, भाकृअनुप-एनआरसीएम ने आवास क्षरण, रोग प्रकोप तथा सीमित बाजार पहुंच जैसी प्रमुख चुनौतियों पर चर्चा की तथा वैज्ञानिक प्रजनन, स्वास्थ्य प्रबंधन एवं बेहतर बुनियादी ढांचे की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।

Mithun Mela 2025 Celebrated in Arunachal Pradesh

विशेष आकर्षण पारंपरिक लूरा प्रणाली का प्रदर्शन था, जो गालो और आदि जनजातियों की एक स्वदेशी प्रथा है, जिसमें फसलों को स्वछंद विचरण करने वाले मिथुनों से बचाने के लिए सामुदायिक बाड़ लगाई जाती है, जो समुदाय-आधारित पशुधन और भूमि प्रबंधन का प्रमाण है।

इस कार्यक्रम में मोरी युवा समूह द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी दी गईं, जिसमें मिथुन के साथ आदिवासी समुदायों के गहरे सांस्कृतिक संबंध का जश्न मनाया गया।

किसान-वैज्ञानिक संवाद सत्र में शिकारियों के हमलों, रोग नियंत्रण, पशु चिकित्सा पहुँच और बाज़ार संपर्कों से संबंधित चिंताओं पर चर्चा की गई। भाकृअनुप-एनआरसीएम के विशेषज्ञों ने मौके पर ही सलाह दी और निरंतर तकनीकी सहायता का आश्वासन दिया।

मेले के बाद, भाकृअनुप-एनआरसीएम टीम ने याकी टाटो गांव का दौरा किया, जहां उन्होंने किसानों के साथ बैठकें कीं और मिथुन के फीनोटाइप लक्षणों का दस्तावेजीकरण किया, जिससे आनुवंशिक लक्षण-वर्णन, चयनात्मक प्रजनन एवं संरक्षण के प्रयासों को समर्थन मिला।

इस कार्यक्रम में पूरे क्षेत्र से महिलाओं और युवाओं सहित 500 से अधिक मिथुन किसानों ने शिरकत की।

(स्रोत: भाकृअनुप-राष्ट्रीय मिथुन अनुसंधान केन्द्र, मेडजीफेमा, नागालैंड)

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