राजस्थान के डुंगरपुर जिले के बरनिया जनजातीय प्रभुत्व वाले गांव में 90 प्रतिशत से भी निरक्षरता है तथा साथ ही यहां बहुत छोटी कृषिजोत हैं और यहां के लोग गरीबी रेखा से नीचे गुजर बसर करते हैं। भाकृअनुप – केन्द्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (CAZRI), जोधपुर द्वारा जनजातीय उपयोजना के अंतर्गत यहां अनेक विकासमूलक गतिविधियां चलाईं गईं जैसे कि सोलर लालटेन, आम, अनार, नींबू आदि की पौध, उन्नत बीजों, बीज धानी का वितरण; टैंक, चैनलों का निर्माण; क्षारीय मृदा का पुनरूद्धार; नस्ल सुधार के लिए नर भेड़ का वितरण।
आजीविका सुधार के लिए क्षमता विकास गतिविधियों में भाकृअनुप – केन्द्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान, जोधपुर द्वारा दिनांक 21 से 23 मई, 2015 को तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें विभिन्न विषयों यथा मृदा व जल संरक्षण; फसल उत्पादकता में सुधार लाना; भूमि उपयोग और भूमि क्षमता; बागवानी तथा आजीविका सुधार पर प्रशिक्षुओं को जानकारी प्रदान की गई। इसके अलावा, वर्मी कम्पोस्ट तैयार करने और पोल्ट्री का प्रबंधन करने पर व्यावहारिक प्रशिक्षण भी दिया गया। किसानों के खेतों से मिट्टी के नमूने लिए गए और मिट्टी के पीएच, ईसी, जैविक कार्बन, तथा नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटेशियम जैसे वृहद पोषक तत्वों और आयरन, मैंग्नीज, जिंक तथा कॉपर जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों आदि का विश्लेषण किया और मृदा स्वास्थ्य कार्ड तैयार किये गए।
उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान, डॉ. आर.के. भट्ट, निदेशक (कार्यकारी), भाकृअनुप – केन्द्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान, जोधपुर ने 30 जनजातीय किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किए। इन्होंने फसल उत्पादकता को सुधारने तथा आजीविका को टिकाऊ बनाने के लिए समेकित भूमि उपयोग प्रबंधन की आवश्यकता बताई।
प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन डॉ. पी. राजा, वरिष्ठ वैज्ञानिक (भूमि विज्ञान); डॉ. आर.के. गोयल, प्रधान वैज्ञानिक (भूमि व जल प्रबंधन इंजीनियरिंग) तथा डॉ. महेश कुमार गौर, वरिष्ठ वैज्ञानिक (भौगोलिक विज्ञान) ने किया।
(स्रोत : भाकृअनुप – केन्द्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (CAZRI), जोधपुर
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