भाकृअनुप – भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान (IISWC), देहरादून द्वारा ‘मृदा एवं जल संरक्षण तकनीकें’ विषय पर दिनांक 4 से 9 जून, 2015 को एक प्रशिक्षण व अवसर दौरा कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में तमिलनाडु के 14 जिलों के 25 इंजीनियरों ने भाग लिया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम को मुख्य अभियंता, कृषि अभियांत्रिकी विभाग, चेन्नई, तमिलनाडु द्वारा प्रायोजित किया गया।
डॉ. पी.के. मिश्रा, निदेशक, भाकृअनुप – भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान, देहरादून ने प्रशिक्षुओं को समेकित जलसंभर प्रबंधन की अवधारणा, दर्शनशास्त्र और सहभागिता दृष्टिकोण के बारे में जानकारी दी। इन्होंने सभी नीतिगत मुद्दों के सम्मिलन और समेकन की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
डॉ. लखन सिंह, अध्यक्ष, मानव संसाधन विकास एवं सामाजिक विज्ञान संभाग ने जलसंभर प्रबंधन परियोजनाओं में ग्रामीण लोगों को सक्रिय रूप से शामिल करने पर अधिक ध्यान देने का अनुरोध किया। इन्होंने स्वयं किसानों द्वारा सहभागिता जल संसाधन विकास और रखरखाव के कुछ उदाहरण भी प्रस्तुत किये।
भाकृअनुप – भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान, देहरादून द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों जिनकी सिफारिश तमिलनाडु राज्य के लिए विभिन्न क्षेत्रों यथा नए चाय बागान क्षेत्रों के लिए मृदा व जल संरक्षण उपाय; अन्नानास के लिए मिश्रित सब्जी अवरोधक, नीलगिरि पर्वतों में टेरेस राइजर में चाय बागान; तथा उच्चतर उत्पादकता, संसाधन उपयोग दक्षता एवं अर्ध शुष्क क्षेत्र में फार्म आमदनी के लिए सस्यविज्ञान प्रबंधन विधियों के पुन: अनुप्रयोग करने एवं भागीदारी करने की वकालत की गई।
इंजीनियर के. मुरूगेसन, टीम लीडर ने संस्थान की गतिविधियों और पाठ्यक्रम समन्वयक )डॉ. बी.एन. घोष) तथा तकनीकी समन्वयक (श्री सुरेश कुमार) द्वारा किए गए प्रबंधन की सराहना की।
(स्रोत : भाकृअनुप – भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान (IISWC), देहरादून
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