21 सितम्बर, 2016, देहरादून
भाकृअनुप – भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान (IISWC), देहरादून में दिनांक 21 सितम्बर, 2015 को अखिल भारतीय सेवा अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण पाठ्यक्रम आयोजित किया गया।
श्री एस. रामासामी, प्रधान सचिव (कृषि एवं उच्चतर शिक्षा), उत्तराखंड सरकार एवं समारोह के मुख्य अतिथि ने अपने संबोधन में विशेषकर कृषि को सुधारने हेतु जल प्रबंधन के लिए योजनाओं की महत्ता पर प्रकाश डाला। इन्होंने कहा कि उत्तराखंड पर्वतीय राज्यों में मृदा कटाव जैसी आम समस्याओं में कमी लाने में जल का उचित प्रबंधन करना अति महत्वपूर्ण होता है। श्री रामासामी ने बेहतर कृषि उत्पादन के लिए विशेषकर उच्च मूल्य वाली फसलों में सूक्ष्म सिंचाई जैसे आधुनिक तकनीकों और वैज्ञानिक जानकारी को शामिल करने का अनुरोध किया।
डॉ. संजीव चोपड़ा, संयुक्त सचिव (कृषि सहकारिता) एवं मिशन निदेशक, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, नई दिल्ली ने अंतर मंत्रालय विभागों और बहुस्थानों की भागीदारी के साथ इस प्रशिक्षण पाठ्यक्रम को प्रारंभ करने के बारे में बताया।
डॉ. विनोद कुमार, निदेशक, आईजीएनएफए, देहरादून ने कहा कि जल भू-स्खलन तथा बाढ़ जैसे नुकसान और विकास दोनों के लिए उत्तरदायी है, इसलिए इसमें श्रेणीबद्ध प्रबंधन करना जरूरी है।
डॉ. एन.के. शर्मा, प्रभारी निदेशक, भाकृअनुप – भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान, देहरादून ने प्रतिभागियों और प्रतिनिधियों का स्वागत किया और भाकृअनुप – भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान (IISWC), देहरादून की प्रमुख गतिविधियों तथा उपलब्धियों की संक्षिप्त जानकारी दी।
इस अवसर पर कार्यक्रम का प्रशिक्षण मैनुअल जारी किया गया।
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आयोजित किए जा रहे कुल 6 पाठ्यक्रमों की श्रृंखला में यह चौथा पाठ्यक्रम है। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में सात उत्तरी राज्यों यथा जम्मू व कश्मीर; हिमाचल प्रदेश; उत्तराखंड; पंजाब; हरियाणा; मध्य प्रदेश; तथा छत्तीसगढ़ के कुल 21 आईएएस और आईएफएस अधिकारियों ने भाग लिया।
प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन दिनांक 24 सितम्बर, 2015 को हुआ।
(स्रोत : भाकृअनुप – भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान (IISWC), देहरादून)
फेसबुक पर लाइक करें
यूट्यूब पर सदस्यता लें
X पर फॉलो करना X
इंस्टाग्राम पर लाइक करें