अभिसरण मोड द्वारा प्रसार की मॉडल ग्राम प्रणाली की शुरूआत

अभिसरण मोड द्वारा प्रसार की मॉडल ग्राम प्रणाली की शुरूआत

उत्तर-पूर्वी पर्वतीय क्षेत्र के लिए भाकृअनुप का अनुसंधान परिसर, उमियम केन्‍द्र, मेघालय द्वारा जनजातीय उप योजना (TSP) तथा जलवायु अनुकूल कृषि पर राष्‍ट्रीय नवोन्‍मेष (NICRA) के साथ अभिसरण करते हुए  रिभोई जिले के नॉंगथिम्‍माई गांव में दिनांक 7–8 अक्‍तूबर, 2016 को ‘जनजातीय किसानों की आजीविका और पोषणिक सुरक्षा में सुधार लाने के लिए वैज्ञानिक विधि से सूअर तथा पोल्‍ट्री पालन’विषय पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

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दिनांक 9 अक्‍तूबर, 2015 को आयोजित समापन समारोह के अवसर पर मुख्‍य अतिथि डॉ. डी.जे. राजखोवा, प्रधान अन्‍वेषक, जलवायु अनुकूल कृषि पर राष्‍ट्रीय नवोन्‍मेष (NICRA) तथा अध्‍यक्ष, जल संसाधन प्रबंधन, उत्तर-पूर्वी पर्वतीय क्षेत्र के लिए भाकृअनुप का अनुसंधान परिसर, उमियम केन्‍द्र, मेघालय ने जनजातीय उपयोजना  तथा जलवायु अनुकूल कृषि पर राष्‍ट्रीय नवोन्‍मेष के साथ मिलकर किसानों तक प्रौद्योगिकियों को पहुंचाने के लिए वैज्ञानिकों द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की  और किसानों से वर्तमान जलवायु अनियमितताओं का सामना करने में जलवायु अनुकूल प्रौद्योगिकियों को बेहतर रूप में अपनाने के लिए कहा।

डॉ. ए.के. मोहन्‍ती, प्रधान वैज्ञानिक (कृषि प्रसार) तथा सह-पाठ्यक्रम निदेशक, प्रशिक्षण ने कृषि एवं सम्‍बद्ध क्षेत्रों में परिसम्‍पत्ति आधारित सामुदायिक विकास  को सहयोग देने हेतु जनजातीय उपयोजना  तथा जलवायु अनुकूल कृषि पर राष्‍ट्रीय नवोन्‍मेष जैसी बाह्य सहायतार्थ परियोजनाओं की  गतिविधियों, निवेशों और संसाधनों का लाभ उठाकर प्रसार की मॉडल ग्राम प्रणाली के बारे में तथा साथ ही प्रौद्योगिकी की टिकाऊ क्षमता के लिए टिकाऊ ग्राम विकसित करने हेतु अपनाई गई क्रियाविधि के बारे में संक्षिप्‍त जानकारी दी।

नोगथिम्‍माई के कृषि विकास में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की भूमिका की सराहना करते हुए नोगथिम्‍माई गांव के मुखिया श्री रोमेलिन लिनशिंग ने किसानों से अपने आजीविका विकास के लिए उन्‍नत प्रौद्योगिकीय विधियों को अपनाने के लिए कहा।

इस अवसर पर तीन प्रसार फोल्‍डर (अंग्रेजी में एक तथा खासी भाषा में दो) को जारी किया गया और किसानों को आहार तथा दवाइयों के साथ नवजात सूअर (हैम्‍पशायर 87.5 प्रतिशत) और अहाता पोल्‍ट्री चूजे (वनराज) वितरित किए गए।

(स्रोत : उत्तर-पूर्वी पर्वतीय क्षेत्र के लिए भाकृअनुप का अनुसंधान परिसर, उमियम केन्‍द्र, मेघालय)

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