14 मई, 2025, अल्मोड़ा
भाकृअनुप-विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसन्धान संस्थान, हवालबाग, अल्मोड़ा में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा सतत हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र के लिए राष्ट्रीय मिशन परियोजना के अन्तर्गत “जलवायु परिवर्तन और आजीविका हेतु आय सृजन” विषय पर आज कृषक कार्यशाला का आयोजन किया गया।
मुख्य अतिथि, डॉ. सुधाकर पांडे, सहायक महानिदेशक (बागवानी संभाग) ने अपने संबोधन में पर्वतीय कृषकों से अधिक आय सृजन हेतु उच्च मूल्य वाली एवं दुर्लभ फसलों की खेती अपनाने हेतु प्रेरित किया। उन्होंने कृषकों को उनके उत्पाद से अत्यधिक लाभ कमाने के लिए केवल उत्पादक ही नहीं, बल्कि उद्यमी बनकर मूल्य श्रृंखला में भागीदारी करने का आह्वान किया।
डॉ. लक्ष्मी कान्त, निदेशक, वीपीकेएएस ने अपने सम्बोधन में जलवायु परिवर्तन के अनुकूलन के लिए स्थानीय फसलों के महत्व पर ज़ोर दिया। उन्होंने बताया कि इन फसलों का मूल्य संवर्धन एक महत्वपूर्ण रणनीति सिद्ध हो सकती है। उन्होंने कहा कि स्थानीय फसलों को बढ़ावा देने से न केवल कृषकों की आय बढ़ सकती है, अपितु यह जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक प्रभावों को कम करने में भी सहायक हो सकता है। साथ ही इन फसलों की पोषण गुणवत्ता तथा पर्यावरणीय स्थिरता को देखते हुए, इनका संरक्षण और विकास आवश्यक है।
इस कार्यक्रम में, श्री गजेंद्र पाठक, शीतलाखेत मॉडल के संयोजक ने “जलवायु परिवर्तन की समझ एवं जलवायु-हितैषी अनुकूलन रणनीति” विषय पर तथा श्री राजेन्द्र बोरा, परियोजना अधिकारी, हिमोत्थान सोसायटी ने “आजीविका एवं आय सृजन के माध्यम से जलवायु अनुकूलन” विषय पर व्याख्यान दिया।
हिमोत्थान संस्था के द्वारा “वी एल प्याज 3" के कृषक सहभागी बीजोत्पादन में सम्मिलित कृषक सुश्री राधा देवी द्वारा भी प्रतिभागियों को प्याज के बीज उत्पादन द्वारा उनकी आर्यवर्धन के बारे में बताया गया।
कार्यशाला के दौरान कृषकों एवं विशेषज्ञों के मध्य समूह चर्चा का आयोजन के साथ-साथ वैज्ञानिकों द्वारा लहसुन के बुलबिल से उत्पादन की विधि भी कृषकों के साथ साझा की गई।
अल्मोड़ा के मटिला, सूरी, गरसारी, विजयपुर पाटिया एवं हवालबाग गांव तथा कोटाबाग, नैनीताल के 61 प्रगतिशील कृषकों ने इस कार्यक्रम में भागीदारी की।
(स्रोतः भाकृअनुप-विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसन्धान संस्थान, हवालबाग, अल्मोड़ा)
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