भा.कृ.अनु.प. की क्षेत्रीय समिति-IV की 25वीं बैठक का हुआ उद्घाटन
श्री नरेंद्र सिंह तोमर, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास तथा पंचायती राज मंत्री के मुख्य आतिथ्य में आज भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की क्षेत्रीय समिति-IV (उत्तर प्रदेश, बिहार, और झारखंड) की 25वीं बैठक का कृषि भवन, नई दिल्ली से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उद्घाटन किया गया।
इस अवसर पर श्री तोमर ने शिक्षा को मौलिक अधिकार बताते हुए नई शिक्षा नीति के माध्यम से कृषि शिक्षा को और भी अधिक रोजगारोन्मुखी तथा उन्नत बनाने की जरूरत पर जोर दिया। कृषि क्षेत्र को मजबूती प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा लिए गए नीतिगत-निर्णयों, योजनाओं, कानूनी रिफ़ार्म्स (जिसके अंतर्गत किसान अब अपनी उपज को उचित कीमत और मनचाहे स्थान पर बेच सकते हैं) और कांट्रेक्ट फ़ार्मिंग का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इससे कृषि क्षेत्र और अर्थव्यवस्था को संबल मिलेगा। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि देश आज किसानों के परिश्रम और वैज्ञानिकों के अनुसंधान के कारण उत्पादन केंद्रित होकर खाद्यान के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन चुका है। उन्होंने यह भी बताया कि दलहन, तिलहन, दुग्ध आदि के उत्पादन में हम दुनिया के पहली और दूसरी नंबर पर कायम हैं।
केंद्रीय मंत्री ने प्राकृतिक प्रतिकूलता से हो रही समस्याओं से निजात के लिए क्षेत्रीय समितियों की ऐसी बैठकों को अनिवार्य बताते हुए कृषि क्षेत्र को प्रौद्योगिकी से जोड़ने तथा उसे मुनाफे व आकर्षण का केंद्र बनाने के लिए ज़ोर दिया। श्री तोमर ने किसानों के हित में केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही तमाम योजनाओं की जानकारी दी और कहा कि 10000 नए किसान उत्पादक संगठनों के गठन का निर्णय सराहनीय है जो किसानों को कृषि उत्पादन के दौरान प्रौद्योगिकी, बेहतर बीज, उर्वरक, कीटनाशक, समुचित वित्त और उत्पादों के विपणन जैसी बड़ी चुनौतियों से राहत दिलाने में अहम भूमिका निभाएगा।
श्री परषोत्तम रूपाला, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री ने कहा कि लोकतांत्रिक परंपराओं का निर्वहन करने के लिए क्षेत्रीय समिति की ऐसी बैठकों का होते रहना इसलिए भी जरूरी है ताकि विभिन्न क्षेत्रों की समस्याओं के अनुरूप उचित समाधान की चेष्टा की जा सके। ऐसे प्रयासों व ऐसी बैठकों के लिए उन्होंने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की सराहना की। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों के अनुसंधान, किसानों के अथक परिश्रम, समितियों की बैठकों व समीक्षाओं से ही हम 2022 तक किसानों की दोगुनी आय का लक्ष्य प्राप्त कर सकेंगे।
श्री सूर्य प्रताप शाही, कृषि मंत्री, उत्तर प्रदेश ने उत्तर प्रदेश में बीज प्रतिस्थापन (Seed Replacement) से संबंधित उपलब्धियों की जानकारी दी तथा इस संदर्भ में राज्य सरकार द्वारा जिन चुनौतियों का सामना किया जा रहा है, उसका भी जिक्र किया। उन्होंने उत्तर प्रदेश में कृषि-शिक्षा एवं किसानों के बीच प्रौद्योगिकियों के प्रसार संबंधी गतिविधियों का भी उल्लेख किया। उन्होंने आग्रह किया कि बदलते परिस्थिति के मद्देनजर जलवायु अनुकूल परियोजनाओं को कार्यान्वित किया जाए।
कार्यक्रम में राज्यों के मंत्रीगण आभासी तौर मौजूद रहे।
डॉ. त्रिलोचन महापात्र, सचिव (कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग) एवं महानिदेशक (भा.कृ.अनु.प.) ने बैठक की पृष्ठभूमि का जिक्र करते हुए कहा कहा कि इन क्षेत्रों की समस्याओं के समाधान के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की निगरानी में भा.कृ.अनु.प.-संस्थानों, कृषि विश्वविद्यालयों तथा केवीके का सामूहिक प्रयास सराहनीय है। उन्होंने पशुपालन, बागवानी सहित एकीकृत खेती को बढ़ावा देने का आग्रह करते हुए जलवायु अनुकूल फसलों पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि पिछले बैठक के परिणामस्वरूप जिन कार्य-बिंदुओं पर चर्चा हुई थी, उनमें से अधिकांश को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है। महानिदेशक ने ज़ोर देते हुए कहा कि भाकृअनुप की तरफ से पूरे देश में 30-35 प्रतिशत बीज प्रतिस्थापन का प्रयास जारी है।
डॉ. महापात्र ने कहा कि क्षेत्रीय समितियों की ऐसी बैठकें समय-सारणी के साथ-साथ कार्य-योजना के क्रियान्वयन व समीक्षाओं की एक व्यवस्था है। साथ ही, उन्होंने कहा कि राज्यों की समस्याओं के उचित निदान हेतु क्षेत्रीय समितियों की ऐसी बैठकें केंद्र और राज्य सरकारों के बीच पुल के तौर पर कार्य करती हैं।
इस दौरान गणमान्य अतिथियों के द्वारा भा.कृ.अनु.प. द्वारा प्रकाशित पुस्तकों का विमोचन भी किया गया।
इस अवसर पर श्री संजय कुमार सिंह, अतिरिक्त सचिव (कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग) एवं सचिव (भा.कृ.अनु.प.) भी मौजूद रहे।
डॉ. ए. के. सिंह, उप महानिदेशक (कृषि विस्तार), भाकृअनुप ने सभी गणमान्य अतिथियों का आभार प्रस्तुत किया।
समिति के बैठक में भा.कृ.अनु.प. के उप महानिदेशकों, अतिरिक्त महानिदेशकों, भा.कृ.अनु.प.-संस्थानों के निदेशकों, कृषि विश्वविद्यालय के कुलपतियों, राज्य सरकार के अधिकारियों तथा केवीके के अधिकारियों ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपनी उपस्थिति दर्ज की।
(स्त्रोत: भा.कृ.अनु.प.-कृषि ज्ञान प्रबंध निदेशालय, नई दिल्ली)
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