केन्द्रीय मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने तीन दिवसीय 'पूसा कृषि विज्ञान मेला 2025' का किया उद्घाटन

केन्द्रीय मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने तीन दिवसीय 'पूसा कृषि विज्ञान मेला 2025' का किया उद्घाटन

कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है; किसान खेती की आत्मा है। - श्री शिवराज सिंह चौहान

22 फरवरी, 2025, नई दिल्ली

केन्द्रीय कृषि, किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास मंत्री, श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज नई दिल्ली स्थित भाकृअनुप-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा आयोजित तीन दिवसीय "पूसा कृषि विज्ञान मेला 2025" का उद्घाटन किया। इस अवसर पर केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री, श्री रामनाथ ठाकुर, सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप), डॉ. हिमांशु पाठक, उप-महानिदेशक (फसल विज्ञान), डॉ. डी.के. यादव तथा भाकृअनुप-आईएआरआई के निदेशक, डॉ. चिरुकमल्ली श्रीनिवास राव भी उपस्थित रहे।

केन्दीय कृषि मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने संबोधन में इस बात पर जोर दिया कि कृषि भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और किसान इसकी आत्मा है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के सपने को साकार करने हेतु कृषि क्षेत्र में लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। वे खुद भी किसान हैं और अपने खेतों में कद्दू, शिमला मिर्च और टमाटर लगाते हैं। उन्होंने बताया कि जब बंपर फसल होती है तो अक्सर कीमतें गिर जाती हैं। इसके अलावा वे फूल, गेहूं और धान की खेती भी करते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि मंत्री होने के बावजूद वे अपनी मूल, कृषि कार्य, से दूर नहीं हुए हैं और वे महीने में दो बार अपने खेत पर जाते हैं।

श्री शिवराज सिंह चौहान ने भाकृअनुप को बधाई दी, प्रदर्शित किस्मों की प्रशंसा करते हुए उन्हें एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया और वैज्ञानिकों की अथक मेहनत की सराहना की। उन्होंने 6 सूत्री रणनीति की रूपरेखा प्रस्तुत की, जिसमें उत्पादन बढ़ाने से लेकर इस बात पर जोर दिया गया कि गुणवत्तापूर्ण बीज की उपलब्धता महत्वपूर्ण हैं। भाकृअनुप का ध्यान बेहतर बीज किस्मों के विकास पर है और यह सुनिश्चित करने के प्रयास किए जा रहे हैं कि वे किसानों तक पहुँचें। उन्होंने किसानों, विशेष रूप से प्रजनकों और आधार बीजों के लिए विज्ञान को जोड़ने की आवश्यकता पर बल दिया। इसे सुविधाजनक बनाने के लिए, आधुनिक कृषि चौपाल नामक "लैब टू लैंड" पहल शुरू की गई है। उन्होंने भाकृअनुप को कार्यभार संभालने का निर्देश दिया, जिसकी पहली चौपाल अगले महीने निर्धारित है।

श्री चौहान ने बताया कि 24 फरवरी को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी भागलपुर में किसान सम्मान निधि के तहत किसानों के खातों में धनराशि हस्तांतरित करेंगे। मंत्री ने यह भी बताया कि अगले दिन वे बिहार में मखाना उत्पादकों के पास जाकर बुवाई की प्रक्रिया का निरीक्षण करेंगे। इससे पहले वे सुपारी उत्पादकों के पास गए थे और हाल ही में पूसा में एक एकीकृत फार्म का दौरा किया था, जहां एक हैक्टर में मछली पालन, मुर्गी पालन तथा तालाब का प्रबंधन किया जा रहा था।

कृषि मंत्री ने किसानों की लागत को प्रबंधित करने की आवश्यकता पर जोर दिया, किसान क्रेडिट कार्ड की सीमा 3 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये करने के बारे में बात की, जिससे फल एवं सब्जी उत्पादक किसानों को लाभ हुआ। उन्होंने तीसरी प्राथमिकता पर प्रकाश डाला: उपज के लिए उचित मूल्य सुनिश्चित करना। इसे प्राप्त करने के लिए, सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में लगातार वृद्धि की है और अब सरकार किसानों से गेहूं, चावल, मसूर, उड़द और अरहर पूरी खरीदेगी। उन्होंने स्थानीय स्तर पर कम कीमतों के मुद्दे पर भी बात की, क्योंकि दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में उपज पहुंचने पर लागत बढ़ जाती है। इसे संबोधित करने के लिए, केन्द्र सरकार एनएएफआडी (NAFED) के माध्यम से परिवहन लागत को कवर करेगी, ताकि किसानों को उचित मूल्य मिले। श्री चौहान ने उल्लेख किया कि जब सोयाबीन की कीमतें गिर गईं, तो विदेशों    से तेल के आयात पर शुल्क बढ़ाकर 27.5% कर दिया गया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि चावल के निर्यात पर प्रतिबंध हटा दिया गया है और लाभ मार्जिन को कम करने के उद्देश्य से निर्यात शुल्क कम कर दिया गया है।

श्री शिवराज सिंह ने किसानों को अपने सुझाव साझा करने के लिए आमंत्रित किया, तथा आश्वासन दिया कि उन्हें लागू किया जाएगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि उन्नत कृषि से ही विकसित भारत संभव है। प्रदर्शित की गई नई किस्मों के बारे में उन्होंने किसानों को शीघ्र उपलब्ध कराने के प्रयासों का वादा किया। उन्होंने बताया कि जब उन्होंने मध्य प्रदेश में किसानों के लिए पहल की योजना बनाई, तो उन्होंने सीधे किसानों से जुड़कर ऐसा किया। कल वे खेती की प्रक्रिया का निरीक्षण करने के लिए कमल के बीज के खेतों का दौरा करेंगे। उन्होंने यह भी बताया कि वैज्ञानिक अब खेतों से अधिक जुड़ेंगे। भारत की प्रगति पर विचार करते हुए उन्होंने कहा कि जहां एक समय भारत को अमेरिका से पीएल 480 गेहूं आयात करना पड़ता था, वहीं आज किसानों की कड़ी मेहनत के कारण यह कई देशों को भोजन उपलब्ध कराता है।

केन्द्रीय कृषि मंत्री ने किसानों को नई कृषि तकनीकों को अपनाने के लिए "अभिनव किसान" और "छात्र किसान" पुरस्कारों से सम्मानित किया। मेले में 300 से अधिक स्टॉल लगाए गए हैं, जिनमें उन्नत बीजों, जैविक खाद, जलवायु अनुकूल पद्धतियों, ड्रोन स्प्रे तकनीक, स्मार्ट सिंचाई और बाजार संपर्कों के बारे में आवश्यक जानकारी दी गई, जिससे किसानों को अपनी खेती की लाभप्रदता बढ़ाने के लिए नवाचार एवं वैज्ञानिक तरीकों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया गया है।

श्री ठाकुर ने भाकृअनुप से आग्रह किया कि वह अपने कृषि विश्वविद्यालयों और अन्य संस्थानों के माध्यम से गांव स्तर पर उन्नत बीजों का प्रदर्शन करे, जिससे किसानों को ज्ञान प्राप्त हो और वे आगे बढ़ सकें।

डॉ. पाठक ने किसानों के विकास और कल्याण को बढ़ावा देने के लिए उन्हें विज्ञान से जोड़ने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि टिकाऊ और जैविक खेती अपनाने से न केवल पर्यावरण को लाभ होता है, बल्कि किसानों का कल्याण भी सुनिश्चित होता है।

डॉ. राव ने भाकृअनुप-आईएआरआई की उपलब्धियों और यहां चल रही गतिविधियों के बारे में जानकारी साझा की। 

(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि ज्ञान प्रबंधन निदेशालय, नई दिल्ली)

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