3 से 12 अक्टूबर, 2023, बेंगलुरु
भाकृअनुप-राष्ट्रीय पशु चिकित्सा महामारी विज्ञान तथा रोग सूचना विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु और भाकृअनुप-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑन फुट एंड माउथ डिजीज, भुवनेश्वर ने जूनोटिक रोगों एवं फुट एंड माउथ बीमारियों पर विशेष ध्यान देने के साथ सीमा पार पशु रोगों को रोकने एवं नियंत्रित करने के लिए महामारी विज्ञान दृष्टिकोण को ध्यान में रखकर बिम्सटेक (मल्टीसेक्टोरल टेक्निकल एंड इकोनॉमिक कोऑपरेशन के लिए बंगाल की खाड़ी पहल) के तत्वावधान में 03-12 अक्टूबर, 2023 तक वर्चुअल मोड में कार्यशाला का आयोजन किया।
डॉ. अभिजीत मित्रा, एएचसी, डीएएचडी, भारत सरकार और डॉ. अशोक कुमार, सहायक महानिदेशक (एएच), कार्यशाला के मुख्य अतिथि थे।
डॉ. मित्रा ने सीमापारीय बीमारियों को रोकने तथा स्थायी सहयोग स्थापित करने में इस तरह की कार्यशालाओं की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया।
डॉ. कुमार ने जलवायु परिवर्तन और नई बीमारियों के उद्भव के गंभीर मुद्दे पर जोर दिया, जो न केवल बिम्सटेक देशों की पशुधन आबादी के लिए बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए भी खतरा पैदा करते हैं।
डॉ. बी.आर. गुलाटी, निदेशक, भाकृअनुप-निवेदी ने लम्पी स्किन डिजीज और अफ्रीकन स्वाइन फीवर जैसे ट्रांसबाउंड्री पशु रोगों के महत्व पर जोर दिया तथा साझा क्षेत्रीय ज्ञान से पारस्परिक रूप से लाभ के लिए दीर्घकालिक, देश-स्तरीय सहयोग की आवश्यकता पर भी जोर दिया। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि ज़ूनोज़ सहित नई सीमा पार पशुधन बीमारियों का उद्भव एक चुनौती पेश करता है। ये बीमारियां संभावित रूप से पशु और मानव आबादी दोनों को प्रभावित करती हैं, जिससे ये महत्वपूर्ण चिंता का विषय बन जाते हैं।
एनआईएफएमडी के निदेशक, डॉ. आर.पी. सिंह ने प्रतिभागियों को क्षेत्र में पैर तथा मुंह की बीमारी के संचरण और अंतर-देशीय सहयोग को मजबूत करने के तरीकों के बारे में बताया। उन्होंने भाकृअनुप-एनआईएफएमडी की सेवाओं को बिम्सटेक देशों तक बढ़ाया।
भारत, नेपाल, भूटान, म्यांमार, थाईलैंड और श्रीलंका सहित देशों के अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभागियों ने ऐसी बीमारियों के प्रबंधन में सीमा पार सहयोग के महत्व पर प्रकाश डाला।
(स्रोत: भाकृअनुप-राष्ट्रीय पशु चिकित्सा महामारी विज्ञान और रोग सूचना विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु)
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