26 मार्च, 2025, असम
भाकृअनुप-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, दिरपाई चापोरी, गोगामुख, धेमाजी, असम और भाकृअनुप-भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल, हरियाणा (एनईएच घटक के तहत) द्वारा आज घिलामारा, लखीमपुर में ‘कृषि आय और आजीविका सुरक्षा बढ़ाने के लिए असम में द्वितीयक कृषि को बढ़ावा’ पर एक किसान वैज्ञानिक बातचीत कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य एकीकृत कृषि प्रणाली के व्यापक ढांचे के भीतर पूर्वोत्तर क्षेत्र के किसानों के बीच द्वितीयक कृषि गतिविधियों को बढ़ावा देना था। कार्यक्रम का सफलतापूर्वक संचालन आईएआरआई-असम के निदेशक और कुलपति डॉ. चेरुकमल्ली श्रीनिवास राव के मार्गदर्शन में किया गया।
मुख्य अतिथि, श्री अश्विनी कलिता, अधीक्षक, रेशम उत्पादन, ढकुआखाना ने जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में रेशम उत्पादन के उभरते परिदृश्य पर प्रकाश डाला।

मुख्य अतिथि, श्रीमती मंदिरा बोरबोरा, एडीओ, ढकुआखाना ने किसानों तथा ग्रामीण युवाओं से कृषि को लाभदायक उद्यम के रूप में अपनाने का आग्रह किया।
कार्यक्रम के दौरान किसानों के बीच एरी स्पिनिंग मशीन, स्प्रेयर, बायोफोर्टिफाइड चावल की किस्में, वर्मी-बेड, हल्दी और सोम के पौधे जैसे कृषि इनपुट वितरित किए गए। इस कार्यक्रम के दौरान “पूर्वोत्तर भारत के संदर्भ में आईएफएस और माध्यमिक कृषि का वैज्ञानिक प्रबंधन” नामक एक पुस्तक का भी विमोचन किया गया।
कुल 60 किसान शामिल होकर इस कार्यक्रम और लाभान्वित हुए।
(स्रोत: भाकृअनुप-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, असम)
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