9 जनवरी, 2025, उमियम
भाकृअनुप-उत्तर पूर्वी पर्वतीय क्षेत्र अनुसंधान परिसर, उमियम ने आज अपनी स्वर्ण जयंती समारोह एवं कृषक प्रदर्शनी 2025 का जश्न मनाया।
भारत की माननीय राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने समारोह के दौरान एक रिकॉर्डेड संबोधन दिया, जिसमें संस्थान को असाधारण सेवा एवं प्रतिबद्धता के 50 वर्ष पूरे करने पर बधाई दी। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि भाकृअनुप ने क्षेत्र की कृषि-जलवायु परिस्थितियों के अनुरूप कई फसल किस्में, पशुधन नस्लें तथा जलवायु-लचीली तकनीकी विकसित की है, जो खाद्य एवं आजीविका सुरक्षा को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान देती है। पिछले दशक में, खाद्यान्न उत्पादन में 30% की वृद्धि हुई है, जबकि बागवानी फसल उत्पादन में 40% की वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि कृषि-आधारित उद्यमों और संबद्ध क्षेत्रों ने आजीविका पैदा करने तथा युवाओं को कृषि की ओर आकर्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिसके कारण पिछले पाँच वर्षों में युवाओं में कृषि-उद्यमियों की संख्या में 25% की वृद्धि देखी गई है। श्रीमती मुर्मू ने स्वदेशी संसाधनों के दस्तावेजीकरण और सत्यापन, जर्मप्लाज्म के संरक्षण तथा स्थानीय ज्ञान को आधुनिक तकनीकों के साथ एकीकृत करने के महत्व पर जोर दिया।
मुख्य अतिथि, मेघालय के माननीय राज्यपाल, श्री सी.एच. विजयशंकर ने अपने उद्घाटन संबोधन में इस बात पर प्रकाश डाला कि कृषि भारत के लोगों और अर्थव्यवस्था दोनों के मूल में है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भाकृअनुप देश में कृषि अनुसंधान एवं विकास में अग्रणी भूमिका निभाता है, फसल किस्मों, पशुधन नस्लों और एकीकृत कृषि प्रणालियों (आईएफएस) के विकास में इसके महत्वपूर्ण योगदान के साथ-साथ इन सभी ने कृषक समुदाय को बहुत लाभ पहुंचाया है। उन्होंने यह भी कहा कि यह क्षेत्र अदरक और हल्दी जैसी विशेष फसलों में प्रचुर मात्रा में है और औषधीय पौधों, आयुर्वेद एवं अन्य कृषि उत्पादों के लिए एक केन्द्र के रूप में कार्य करता है।
केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री, श्री शिवराज सिंह चौहान ने इस बात पर जोर दिया कि मेघालय की जैव विविधता इस क्षेत्र के लिए एक मूल्यवान संपत्ति है और उन्होंने एक व्यापक रोडमैप विकसित करने के लिए समर्पित प्रयास करने का आह्वान किया। उन्होंने भाकृअनुप संस्थानों, कृषि विश्वविद्यालयों, केवीके और राज्य विभागों के बीच बेहतर समन्वय की आवश्यकता पर बल दिया। क्षेत्र के विविध कृषि जलवायु क्षेत्रों को देखते हुए, उन्होंने विशेष रूप से लॉजिस्टिक्स हब, प्रसंस्करण, मूल्य संवर्धन और उत्पाद मूल्य निर्धारण के विकास के लिए कई विभागों को शामिल करते हुए एक सहयोगी दृष्टिकोण के महत्व को रेखांकित किया। श्री चौहान ने प्रयोगशाला से क्षेत्र तक प्रौद्योगिकी के पहुंचने में लगने वाले समय को कम करने और इसके महत्व को भी रेखांकित किया।
मेघालय के मुख्यमंत्री, श्री कॉनराड के. संगमा ने उच्च उपज वाली किस्मों, जैविक खेती और युवाओं में कृषि-उद्यमिता को बढ़ावा देने में भाकृअनुप के योगदान की सराहना की। श्री संगमा ने बागवानी, शहद, बांस एवं जैविक खेती जैसी फसलों के लिए इस क्षेत्र के केन्द्र बनने की क्षमता पर प्रकाश डाला। उन्होंने बड़े पैमाने पर प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, बेहतर समन्वय, लॉजिस्टिक्स हब के विकास, बागवानी उत्पादों की बेहतर शेल्फ लाइफ, खाद्य प्रसंस्करण, क्लस्टर विकास, बांस मिशन एवं केवीके जैसी जमीनी संस्थाओं को मजबूत करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप), डॉ. हिमांशु पाठक ने क्षेत्र की समृद्ध कृषि-जैव विविधता एवं जैविक खेती के बारे में बात की। क्षेत्र के नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र को ध्यान में रखते हुए, उन्होंने जलवायु-लचीली कृषि विकसित करने की आवश्यकता पर जोर दिया तथा कहा कि कृषि-प्रकृति, बाजार, संस्कृति एवं प्रौद्योगिकी के अनुकूल होनी चाहिए। डॉ. पाठक ने पिछले पांच दशकों में संस्थान की सराहनीय उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ऐसी चुनौतियाँ हैं जिन पर अगले 50 वर्षों में अधिक उत्साह और समर्पण के साथ ध्यान केन्द्रित करने की आवश्यकता है। उन्होंने विकसित भारत 2047 का हिस्सा बनने के लिए काम करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
इस अवसर पर मेघालय सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री, डॉ. एम. अमापारीन लिंगदोह, मेघालय सरकार के मुख्य सचिव, श्री डी.पी. वहलांग तथा भाकृअनुप-उत्तर पूर्वी पर्वतीय क्षेत्र अनुसंधान परिसर, उमियम, मेघालय के निदेशक, डॉ. वी.के. मिश्रा भी उपस्थित रहे।
इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण किया गया, जिसमें संस्थान के 6 क्षेत्रीय केन्द्रों के साथ-साथ क्षेत्र के 90 कृषि विज्ञान केन्द्रों से लगभग 20,000 किसान शामिल हुए।
डॉ. सुरेश कुमार चौधरी, उप-महानिदेशक (प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन), भाकृअनुप ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
(स्रोत: भाकृअनुप-उत्तर पूर्वी पर्वतीय क्षेत्र अनुसंधान परिसर, उमियम, मेघालय)
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