14 मई, 2025, हैदराबाद
आगामी खरीफ सीजन के लिए आकस्मिक योजना को मजबूत करने के लिए एक सक्रिय कदम के रूप में, भाकृअनुप-केन्द्रीय शुष्क भूमि कृषि अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद ने कृषि विभाग, महाराष्ट्र सरकार के सहयोग से “खरीफ 2025 के लिए कृषि आकस्मिकताओं की तैयारी को बढ़ाना” विषय पर एक वर्चुअल इंटरफेस बैठक आयोजित की।
बैठक में कई प्रमुख अधिकारियों ने भाग लिया, जिनमें महाराष्ट्र सरकार के कृषि आयुक्त, श्री सूरज मंधारे, भाकृअनुप-सीआरआईडीए के निदेशक, डॉ. वी.के. सिंह, पीओसीआरए, मुंबई के निदेशक, श्री परिमल सिंह, महाराष्ट्र सरकार के कृषि विभाग के निदेशक (विस्तार एवं प्रशिक्षण), श्री आर.एस. नाइकवाड़ी तथा वीएनएमकेवी परभणी सहित कृषि विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधि शामिल रहे।

अपने उद्घाटन संबोधन में डॉ. वी.के. सिंह ने बैठक के महत्व पर जोर दिया और आईएमडी द्वारा जारी मौसमी वर्षा पूर्वानुमान पर जानकारी साझा की। उन्होंने महाराष्ट्र की परिवर्तनशील जलवायु परिस्थितियों के संदर्भ में मौसम संबंधी विसंगतियों के प्रभावों को कम करने के लिए समय पर अनुकूली उपाय करने के महत्व को रेखांकित किया।
राज्य की तैयारियों को संबोधित करते हुए, श्री आर.एस. नाइकवाड़ी ने खरीफ 2025 की फसल योजना, प्रमुख फसलों की पहचान, लक्षित क्षेत्रों, इनपुट उपलब्धता और फसल निगरानी कार्यक्रमों के क्रियान्वयन की रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने पुष्टि की कि अधिकांश फसलों के लिए पर्याप्त बीज स्टॉक उपलब्ध हैं, लेकिन कपास और अरहर के लिए कमी है। उन्होंने भारी वर्षा की स्थिति में जल निकासी की सुविधा के लिए, विशेष रूप से अरहर के लिए ब्रॉड बेड फ़रो (BBF) प्रणाली को अपनाने की भी सिफारिश की।
विभिन्न जिलों के अतिरिक्त एवं संयुक्त कृषि निदेशकों ने क्षेत्र-स्तरीय तैयारियों और आकस्मिक रणनीतियों पर विस्तृत जानकारी साझा की, जिसमें विभिन्न कृषि-जलवायु क्षेत्रों के लिए उपयुक्त वैकल्पिक फसलों तथा किस्मों को बढ़ावा देना शामिल है।
बैठक में संस्थागत समन्वय बढ़ाने और किसानों को मौसम संबंधी सलाह के प्रसार में सुधार करने पर भी चर्चा हुई, विशेष रूप से अल्पकालिक वर्षा पूर्वानुमान तथा संभावित जलभराव की स्थिति से संबंधित।
इस सत्र में विभिन्न भाकृअनुप संस्थानों के वैज्ञानिक, अखिल भारतीय समन्वित शुष्क भूमि कृषि अनुसंधान परियोजनाएँ (एआईसीआरपीडीए) और कृषि मौसम विज्ञान (एआईसीआरपीएएम) के साथ-साथ महाराष्ट्र भर के कृषि विज्ञान केन्द्रों (केवीके) के परियोजना समन्वयक भी शामिल हुए।
इस बैठक ने महाराष्ट्र में जलवायु-अनुकूल कृषि की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया, जिसमें समन्वित योजना, समय पर सलाह और कृषि संबंधी आकस्मिकताओं के प्रबंधन में वैज्ञानिक हस्तक्षेप की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया गया।
(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय शुष्क भूमि कृषि अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद)
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