15 जून, 2025, चित्रकूट, सतना
सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप), डॉ. मांगी लाल जाट ने दीनदयाल शोध संस्थान (डीआरआई), चित्रकूट एवं विंध्याचल किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ), ग्वालियर द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित सतत कृषि विकास के लिए एकीकृत तकनीकी और ग्रामीण किसान क्रेता-विक्रेता सम्मेलन पर राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन किया।

श्री अतुल जैन, प्रमुख सचिव, डीआरआई; डॉ. ए.के. सिंह, कुलपति, रानी लक्ष्मी बाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झांसी; डॉ. अनुपम मिश्रा, कुलपति, केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, इंफाल; डॉ. राजबीर सिंह, उप-महानिदेशक (कृषि विस्तार), भाकृअनुप; श्री वसंत पंडित, कोषाध्यक्ष, डीआरआई; भाकृअनुप-एटीएआरआई के निदेशक और श्री देवेंद्र सिंह भदौरिया, निदेशक, विंध्याचल एफपीओ ने इस अवसर पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
श्री अतुल जैन ने नानाजी देशमुख की विरासत और समग्र ग्रामीण विकास के माध्यम से एकात्म मानववाद के दर्शन को लागू करने में डीआरआई के काम पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि डीआरआई चार कृषि विज्ञान केन्द्रों और 17 एफपीओ के माध्यम से वैज्ञानिक रूप से इस मिशन को आगे बढ़ा रहा है।
डॉ. ए.के. सिंह ने बुंदेलखंड में सरसों और मूंग की बढ़ती खेती का उल्लेख करते हुए तकनीकी पहुंच और न्यायसंगत मूल्य निर्धारण के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने क्षेत्र की जैव विविधता को संरक्षित करने के साथ-साथ पशुधन उत्पादन और संरक्षित खेती को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बीज उत्पादन के लिए एफपीओ और कृषि संस्थानों के बीच रणनीतिक सहयोग की वकालत की।
अपने उद्घाटन संबोधन में डॉ. जाट ने कृषि में किसानों की दीर्घकालिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए बेहतर बाजार पहुंच और उचित मूल्य निर्धारण की महत्वपूर्ण आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने एफपीओ में किसानों की भागीदारी का आग्रह किया और सभी हितधारकों से बुंदेलखंड जैसे क्षेत्रों में सतत कृषि विकास के लिए सहयोग करने का आह्वान किया। उन्होंने मिट्टी और जल संरक्षण प्रयासों की क्षमता पर जोर दिया और ऐसे चुनौतीपूर्ण इलाकों में डीआरआई के काम की प्रशंसा की।
कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण, छह पद्मश्री पुरस्कार विजेता किसानों को कृषि, जैव विविधता और जल संरक्षण में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित करना था।

कार्यशाला के हिस्से के रूप में विभिन्न एफपीओ द्वारा विकसित कृषि उत्पादों की एक प्रदर्शनी भी आयोजित की गई।
कार्यक्रम में देश भर के वैज्ञानिकों, क्रेताओं, विक्रेताओं और कृषि विशेषज्ञों ने भाग लिया।
(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, जोन IX, जबलपुर)
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