19 अगस्त 2023, भोपाल
भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान (अटारी), जबलपुर (19-21 अगस्त 2023) के केवीके की 30वीं क्षेत्रीय कार्यशाला का उद्घाटन आज यहां, डॉ. हिमांशु पाठक, सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप) ने किया।
अपने उद्घाटन संबोधन में उन्होंने केवीके के काम की सराहना की और कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा केवीके के काम को मान्यता देना देश में केवीके प्रणाली के महत्व को दर्शाता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि केवीके भारतीय कृषि विकास का चेहरा हैं और कृषि विज्ञान और प्रौद्योगिकी को प्रतिबिंबित करते हैं। डॉ. पाठक ने उल्लेख किया कि निजी हितधारक केवीके के साथ काम करना चाहते हैं और केवीके को स्पष्ट उद्देश्य और दूरदृष्टि के साथ इन संबंधों का लाभ उठाना होगा। उन्होंने कहा कि विकसित भारत केवल विकसित कृषि से ही संभव हो सकता है जो कि केवीके प्रणाली के विकास के बिना संभव नहीं है।
डॉ. अनुपम मिश्रा, कुलपति, केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, इंफाल ने शुरुआत से ही केवीके प्रणाली की स्थापना प्रक्रिया और विकास के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सीएफएलडी दलहन जैसी उन्नत उत्पादन प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन करके सीएफएलडी तिलहन द्वारा तिलहन में आत्मनिर्भरता हासिल की जा सकती है।
डॉ. गिरीश चंदेल, कुलपति, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर ने इस बात पर जोर दिया कि अधिक लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से किसानों की उपज को अच्छे दामों पर बेचने के लिए बाजार की जानकारी की आवश्यकता होती है और आग्रह किया कि केवीके को भी उस विशेष क्षेत्र पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि डिजिटल कृषि समय की मांग है और केवीके को कृषि प्रौद्योगिकियों के डिजिटलीकरण और बारकोडिंग पर काम करना चाहिए।
इस अवसर पर, डॉ. पी.के. मिश्रा, कुलपति, जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर और डॉ. एस.पी. तिवारी, कुलपति, नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय, जबलपुर ने भी बात की।
डॉ. उधम सिंह गौतम, उप-महानिदेशक (कृषि विस्तार) ने कहा कि केवीके अगले वर्ष अपनी स्वर्ण जयंती मनाएंगे जिसके लिए अधिदेशों और उद्देश्यों की रीमॉडलिंग तथा पुनर्गठन की आवश्यक है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि केवीके को उचित फीडबैक तंत्र अपनाकर किसानों की समस्याओं के लिए एकल खिड़की प्रणाली तथा वन-स्टॉप समाधान केन्द्र के रूप में काम करना चाहिए। उन्होंने आग्रह किया कि प्रत्येक केवीके एक ऐसा मॉडल गांव विकसित करे जो टिकाऊ हो और पूरे जिले के लिए अनुकरणीय हो साथ ही किसानों के लिए आसान एवं अनुकूल हो।
डॉ. सुरेश कुमार चौधरी, उप-महानिदेशक (प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन) ने कहा कि केवीके को कृषक समुदाय के बीच आय के वैकल्पिक स्रोतों के रूप में मत्स्य पालन एवं पशुपालन पर भी ध्यान केन्द्रित करना चाहिए और कहा कि केवीके मवेशियों की गैर-वर्णनात्मक नस्लों की पहचान कर सकता है।
डॉ. एस.एन. झा, उप-महानिदेशक (कृषि अभियांत्रिकी) ने कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने में कृषि मशीनीकरण एक महत्वपूर्ण घटक है क्योंकि यह खेती की लागत को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
डॉ. पी. दास, पूर्व उप-महानिदेशक (कृषि विस्तार) ने कहा कि कृषि प्रौद्योगिकियों की चुनौतियों, जैव-भौतिकीय सत्यापन तथा सामाजिक-आर्थिक पात्रता को दूर करने के लिए अंतःविषय कार्य के साथ स्थान-विशिष्ट प्रौद्योगिकियों की आवश्यकता है।
डॉ. आर.के. सिंह, सहायक महानिदेशक (कृषि विस्तार) ने कहा कि केवीके के कार्यप्रणाली के डाटा प्रबंधन एवं बाजार की सूचना व्यवस्था पर कार्य करने की जरूरत है जिससे कृषि उत्पाद की अच्छी कीमत प्राप्त हो सकेगा साथ ही भाकृअनुप के प्रमुख कार्यक्रम के भविष्य की कार्यविधि को पुनः शुरूआत करने की बात की जिससे किसानों को अधिक से अधिक लाभ प्राप्त हो सके।
डॉ. सी.आर. मेहता, निदेशक, भाकृअनुप-सीआईएई, भोपाल ने कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने में कृषि मशीनीकरण की महत्वपूर्ण भूमिका है।
डॉ. एस.आर.के. सिंह, निदेशक, भाकृअनुप-अटारी, जबलपुर, मध्य प्रदेश ने अपने स्वागत संबोधन में मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में केवीके द्वारा किए गए कार्यों तथा भविष्य की कार्य योजना प्रस्तुत की।
कार्यशाला में केवीके, भाकृअनुप संस्थानों, एसएयू, किसानों से 250 से अधिक प्रतिभागियों ने शिरकत की।
(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, जबलपुर)
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