29 नवंबर, 2025, आंध्र प्रदेश
आदिवासी लोगों की आजीविका को मज़बूत करने और जमीनी स्तर पर बाजरा आधारित उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए, भाकृअनुप—भारतीय श्री अन्न अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद, कृषि अनुसंधान केन्द्र, विजयनगरम, एएनजीआरएयू, आंध्र प्रदेश ने मिलकर अल्लूरी सीताराम राजू ज़िले के डुम्ब्रिगुडा मंडल के किल्लोगुडा गाँव में धिमसा फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन (एफपीओ) में एक श्री अन्न प्राइमरी प्रोसेसिंग यूनिट कम कस्टम हायरिंग सेंटर की स्थापना में सहायता की, जो एक श्री अन्न फ़ूड कैंटीन के साथ इंटीग्रेटेड है। इस सुविधा का उद्घाटन आज जिला कलेक्टर, एएसआर जिला, आंध्र प्रदेश ने ग्लोबल सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस (जीसीओई) की ट्राइबल सब-प्लान (टीएसपी) पहल के तहत, डॉ. सी. तारा सत्यवती, निदेशक, भाकृअनुप-आईआईएमआर के मार्गदर्शन में किया।

धिमसा एफपीओ में मुख्य रूप से छोटे और सीमांत आदिवासी किसान शामिल हैं, जो ज़्यादा मेहनत वाले कटाई के बाद के कामों, आधुनिक मशीनों तक पहुँच की कमी तथा कच्चे बाजरे के दाने बेचने से कम मुनाफ़े से परेशान थे। नया स्थापित कस्टम हायरिंग सेंटर किसानों को सफाई, छिलका हटाने, ग्रेडिंग और रवा/सूजी के उत्पादन के लिए उन्नत मशीनों तक साझा पहुँच प्रदान करके इन चुनौतियों का समाधान करता है, जिससे कटाई के बाद समय पर एवं कुशल हैंडलिंग सुनिश्चित होती है।
स्थानीय वैल्यू एडिशन के जरिए, किसान अब अपने बाजरे को बाज़ार में बिकने लायक और बेहतर क्वालिटी के प्रोडक्ट्स में बदल सकते हैं, जिससे उनकी इनकम में अनुमानित 20-30% की बढ़ोतरी होगी, साथ ही फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान में कमी आएगी साथ ही प्रोडक्ट की हाइजीन भी बेहतर होगी। यह पहल आदिवासी श्री अन्न प्रोडक्ट्स के प्रति बाज़ार का भरोसा बढ़ाती है और एफपीओ ऑपरेशंस की आर्थिक व्यवहार्यता को बेहतर बनाती है।
इस सुविधा के हिस्से के तौर पर, पोषण जागरूकता, आदिवासी खाद्य संस्कृति तथा पर्यटन से जुड़ी इनकम पैदा करने को बढ़ावा देने के लिए एक श्री अन्न फूड कैंटीन भी शुरू की गई है। कैंटीन और सेंटर मिलकर आजीविका के अवसर पैदा करते हैं, खासकर महिला स्वयं सहायता समूहों एवं आदिवासी युवाओं के लिए, जो खाना बनाने, परोसने और ऑपरेशनल मैनेजमेंट में शामिल होंगे।

यह समुदाय के स्वामित्व वाला कस्टम हायरिंग सेंटर एक इनोवेटिव एक्सटेंशन आधारित मजबूत उदाहरण है, कि कैसे, मशीनीकरण, स्थानीय वैल्यू एडिशन और मार्केट लिंकेज मिलकर आदिवासी क्षेत्रों में स्थायी आर्थिक विकास, महिला सशक्तिकरण एवं बेहतर पोषण सुरक्षा को सक्षम बना सकते हैं। यह पहल दूरदराज की आदिवासी आबादी के बीच बाजरा उद्यमिता के विस्तार के लिए एक दोहराने योग्य प्रतिमान को स्थापित करती है।
उद्घाटन कार्यक्रम में सीनियर अधिकारियों, एनजीओ प्रतिनिधियों, कम्युनिटी लीडर्स एवं आदिवासी किसानों ने हिस्सा लिया और भाकृअनुप-आईआईएमआर, हैदराबाद को आदिवासी किसान समुदायों को ऊपर उठाने वाले असरदार, बड़े पैमाने पर लागू होने वाले और किसान-केन्द्रित उपायों को लागू करने के लिए उनकी सराहना की।
(स्रोत: भाकृअनुप—भारतीय श्री अन्न अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद)







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