30 सितंबर, 2025, नई दिल्ली
आईएआरआई पूर्व छात्र संघ (आईएए) ने भाकृअनुप-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली के सहयोग से आज एनएएससी कॉम्प्लेक्स, नई दिल्ली में 'आईएआरआई एक विश्वस्तरीय उच्च शिक्षा संस्थान की ओर' विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया।
इस संगोष्ठी में लगभग 100 प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों, नीति निर्माताओं, शिक्षाविदों, उद्योग जगत के दिग्गजों और युवा शोधकर्ताओं ने आईएआरआई को उच्च शिक्षा, अनुसंधान एवं नवाचार को एक विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त संस्थान के रूप में स्थापित करने हेतु व्यापक रूपरेखा पर विचार-विमर्श किया।
इस चर्चा में आईएआरआई के उच्च शिक्षा पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने, राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुरूप ढलने और आईएआरआई को एक बहु-विषयक शिक्षा एवं अनुसंधान विश्वविद्यालय (एमईआरयू) के रूप में विकसित करने पर ध्यान केन्द्रित किया गया।

प्रमुख वक्ताओं में डॉ. एम.एल. जाट, सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप), डॉ. आर.एस. परोदा, अध्यक्ष, आईएए, डॉ. चेरुकमल्ली श्रीनिवास राव, मुख्य संरक्षक, आईएए एवं निदेशक, भाकृअनुप-आईएआरआई, प्रो. कदमबोट सिद्दीकी, निदेशक, कृषि संस्थान, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया विश्वविद्यालय, डॉ. आर.एस. कंवर, पूर्व कुलपति, एलपीयू, फगवाड़ा, और डॉ. के. मारेडिया, निदेशक, अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम, मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी, शामिल थे। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि नवाचार, उद्यमिता तथा वैश्विक सहयोग आईएआरआई के अंतर्राष्ट्रीय कद को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
इस अवसर पर बोलते हुए, डॉ. जाट ने शिक्षा एवं अनुसंधान में समग्र और बहु-विषयक दृष्टिकोण के महत्व पर प्रकाश डाला और आईएआरआई से अन्य कृषि विश्वविद्यालयों के लिए एक आदर्श के रूप में कार्य करने हेतु अपनी अनूठी क्षमता विवरण तथा मूल्य प्रस्ताव को परिभाषित करने का आग्रह किया।
डॉ. परोदा ने शिक्षण, अनुसंधान एवं विस्तार को एकीकृत करने वाले एक अग्रणी भूमि-अनुदान संस्थान के रूप में आईएआरआई की विरासत को रेखांकित किया। उन्होंने आईएआरआई को दुनिया के शीर्ष 100 विश्वविद्यालयों में शामिल करने के लिए शैक्षणिक पाठ्यक्रमों में सुधार, शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार, मॉडल अधिनियम के कार्यान्वयन और वैश्विक सहयोग बढ़ाने का आह्वान किया।
डॉ. राव ने आईएआरआई की प्रमुख उपलब्धियों का विवरण प्रस्तुत किया और संस्थान की वैश्विक प्रतिष्ठा को बढ़ावा देने हेतु वैज्ञानिकों एवं छात्रों के लिए विश्वस्तरीय बुनियादी ढाँचे तथा क्षमता निर्माण पहलों के विकास हेतु एक रोडमैप प्रस्तावित किया।
डॉ. अनुपमा सिंह, आईएए की संरक्षक एवं संयुक्त निदेशक (शिक्षा), भाकृअनुप-आईएआरआई, ने एक निश्चित समय-सीमा के भीतर संस्थान को एक शोध-प्रधान उच्च शिक्षा संस्थान में बदलने के लिए एक विस्तृत एसडब्ल्यूओटी विश्लेषण और रणनीतिक रोडमैप साझा किया।
अंतर्राष्ट्रीय दृष्टिकोण साझा करते हुए, प्रो. कदमबोट सिद्दीकी ने पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया विश्वविद्यालय की वैश्विक मान्यता की यात्रा पर विस्तार से चर्चा की और आईएआरआई की आकांक्षाओं के अनुरूप एक पाँच-वर्षीय रोडमैप प्रस्तुत किया।
सेमिनार की प्रमुख सिफारिशों में शामिल थीं:
• उन्नत शिक्षण, अनुसंधान एवं नवाचार को समर्थन देने के लिए अत्याधुनिक बुनियादी ढांचे का विकास।
• लचीले और अंतःविषयक कार्यक्रमों को बढ़ावा देने के लिए पाठ्यक्रमों में संशोधन।
• संयुक्त अनुसंधान, शैक्षणिक आदान-प्रदान तथा सहयोगी कार्यक्रमों के लिए अंतर्राष्ट्रीय साझेदारियाँ स्थापित करना।
• अनुसंधान अनुवाद एवं व्यवसायीकरण के लिए उद्योग-अकादमिक संबंधों को मजबूत करना।
• संकाय और शोधकर्ताओं के बीच उत्कृष्टता को मान्यता देने के लिए प्रोत्साहन तंत्र लागू करना।
• भविष्य के लिए तैयार शैक्षणिक और वैज्ञानिक नेतृत्व को पोषित करने हेतु क्षमता निर्माण कार्यक्रमों का कार्यान्वयन।

इस कार्यक्रम में कई गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया, जिनमें डॉ. आर.बी. सिंह (पूर्व निदेशक, भाकृअनुप-आईएआरआई), डॉ. संजय कुमार (अध्यक्ष, एएसआरबी), डॉ. पी.के. खोसला (कुलपति, शूलिनी विश्वविद्यालय, सोलन), डॉ. आर.सी. अग्रवाल (पूर्व उप-महानिदेशक, शिक्षा, भाकृअनुप), डॉ. एस.एल. मेहता (पूर्व कुलपति, एमपीयूएटी), डॉ. अनुपम वर्मा (सहायक प्राध्यापक, आईएआरआई), डॉ. अशोक कुमार सिंह (पूर्व निदेशक, आईएआरआई), डॉ. अनिल कुमार सिंह (सचिव, आईएए), प्रो. मनोज कुमार धर (निदेशक, एसीएसआईआर), डॉ. ए.एस. यादव (एडीजी, शिक्षा प्रभाग, भाकृअनुप), डॉ. सी. विश्वनाथन (संयुक्त निदेशक, अनुसंधान, आईएआरआई), श्री अविचल राज कपूर (संयुक्त सचिव, यूजीसी), श्री हेमेंद्र माथुर (सह-संस्थापक, वाईलिंक-एजी), डॉ. एस. भास्कर रेड्डी (वरिष्ठ सलाहकार, सिंजेन्टा), डॉ. नीना मित्तर (उप-कुलपति - वैश्विक अनुसंधान, चार्ल्स स्टर्ट विश्वविद्यालय, ऑस्ट्रेलिया), प्रो. यू.पी. सिंह (निदेशक, आईएएस, बीएचयू, वाराणसी), और डॉ. पी. मलिक (एग्रीनोवेट इंडिया लिमिटेड, भाकृअनुप), शामिल थे।
युवा संकाय तथा छात्रों को आईएआरआई के भविष्य की दिशा निर्धारित करने और संस्थागत स्वामित्व की भावना को बढ़ावा देने के लिए एक युवा मंच एवं एक निबंध प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया।
यह संगोष्ठी भाकृअनुप-आईएआरआई की शैक्षणिक उत्कृष्टता, वैश्विक दृश्यता तथा नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के लिए हितधारकों के बीच साझा प्रतिबद्धता के साथ संपन्न हुई, जिसने भारत और उसके बाहर कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान उत्कृष्टता को आगे बढ़ाने वाले एक प्रमुख संस्थान के रूप में इसकी भूमिका की पुष्टि की।
(स्रोत: भाकृअनुप-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली)
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