6-7 जुलाई, 2021, कोलकाता
भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, ज़ोन - V, कोलकाता, पश्चिम बंगाल ने 6 से 7 जुलाई, 2021 तक आभासी तौर पर 'ओडिशा एवं पश्चिम बंगाल राज्यों और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के केंद्र शासित प्रदेश में फैले ज़ोन - V के KVK के लिए वार्षिक क्षेत्रीय कार्यशाला' का आयोजन किया।
मुख्य अतिथि, डॉ. अशोक कुमार सिंह, उप महानिदेशक (कृषि विस्तार), भाकृअनुप ने कहा कि कृषि विज्ञान केंद्रों का इनक्यूबेशन केंद्र देश भर में कृषि उत्पादों के प्रसंस्करण और मूल्यवर्धन को प्रसारित करने में मदद करेगा। उप महानिदेशक ने जैविक खेती, पारस्परिक खेती और शून्य बजट कृषि पर ध्यान केंद्रित करते हुए टिकाऊ/संरक्षण कृषि पद्धतियों पर जोर दिया। डॉ. सिंह ने केवीके से आग्रह किया कि वे मवेशियों की देसी नस्लों की क्षमता का दोहन करें और 50 केवीके में इसका मॉडल बनाएँ। उन्होंने किसानों के अधिक दृश्यता के लिए परिसर में 4 से 5 प्रदर्शन मॉडल बनाए रखने के लिए केवीके को भी राय दी।
प्रो. चंचल गुहा, कुलपति, पश्चिम बंगाल पशु और मत्स्य विज्ञान विश्वविद्यालय, पश्चिम बंगाल ने केवीके को अच्छे मानव स्वास्थ्य, कृषि और अर्थशास्त्र को बनाए रखने के लिए कोविड-19 महामारी की स्थिति में वृद्धि और विकास के लिए भाकृअनुप की आउटरीच (सेवा-संस्था की सहायता) शाखा के रूप में माना।
डॉ. स्वरूप कुमार चक्रवर्ती, कुलपति, उत्तर बंग कृषि विश्वविद्यालय, कूच बेहर, पश्चिम बंगाल ने केवीके की गतिविधियों के विस्तार के लिए सभी जिलों में दो केवीके रखने की राय दी।
प्रो. बी. एस. महापात्रा, कुलपति, बिधान चंद्र कृषि विश्वविद्यालय, पश्चिम बंगाल ने देश भर में केवीके को कृषि की रीढ़ माना।
डॉ. पी. के. अग्रवाल, कुलपति, ओडिशा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, भुवनेश्वर, ओडिशा ने 22,000 किसानों को प्रशिक्षित करने में केवीके द्वारा निभाई जा रही भूमिकाओं पर प्रकाश डाला।
डॉ. स्वामी आत्मप्रियानंद, प्रो-चांसलर, रामकृष्ण मिशन विवेकानंद शैक्षणिक एवं अनुसंधान संस्थान, हावड़ा, पश्चिम बंगाल ने रसायनों के साथ मिश्रित जैविक खेती के साथ स्वदेशी कृषि प्रौद्योगिकियों पर जोर दिया।
अपने समापन संबोधन में डॉ. आर. सिंह, एडीजी (कृषि विस्तार), भाकृअनुप ने किसानों की प्रतिक्रियाओं से प्रश्न बैंकों को विकसित करने, किसानों के सामने आने वाली कृषि-पारिस्थितिकीय समस्याओं एवं उनके समाधानों को समझने, उन्हें एक डेटाबेस में बनाए रखने, ओडीओपी और बागवानी के विविधीकरण आदि पर जोर दिया।
इससे पूर्व अपने स्वागत संबोधन में डॉ. एस. के. रॉय, निदेशक, भाकृअनुप-अटारी, कोलकाता ने क्षेत्र की प्रमुख उपलब्धियों सहित विभिन्न कार्यक्रमों में भाकृअनुप-अटारी, कोलकाता और 59 केवीके की भागीदारी की रूपरेखा प्रस्तुत की।
(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, जोन-V, कोलकाता, पश्चिम बंगाल)
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